इंदौर समाचार: इंदौर में 9 साल पुराने एक सड़क हादसे के मामले में जिला न्यायालय ने पीड़ित परिवार को 60 लाख 75 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह हादसा 12 अक्टूबर 2015 को हुआ था, जिसमें एक 9 वर्षीय बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक महिला ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।
दुर्घटना का मामला और न्यायालय का निर्णय
यह दुखद हादसा तब हुआ, जब इंदौर निवासी उर्मिला परमार और उनके परिवार के सदस्य खेड़ीघाट से लौट रहे थे। पालसूद फाटे के पास उनके वाहन को पुलिस विभाग के वाहन (नंबर एमपी 03 5611) ने जोरदार टक्कर मारी। इस टक्कर में 9 वर्षीय कृष्णा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में शामिल चंदा नामक महिला की भी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
दुर्घटना में पुलिस वाहन के चालक की लापरवाही साबित होने के बाद, कोर्ट ने इस मामले में पुलिस वाहन का बीमा करने वाली कंपनी को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं माना। इसके बजाय, मुआवजे की पूरी जिम्मेदारी पुलिस विभाग पर डाली गई है।
पीड़ित परिवार को मिला न्याय
दुर्घटना के बाद, मृतकों के परिजनों और अन्य घायलों ने एडवोकेट एलएन पुरोहित और राजेश आसापुरे के माध्यम से जिला न्यायालय में मुआवजे का दावा प्रस्तुत किया। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, न्यायालय ने 60 लाख 75 हजार रुपये मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है। यह मुआवजा पीड़ित परिवारों के लिए राहत की एक किरण है, जिन्होंने इस हादसे में अपनों को खो दिया था।
न्यायिक आदेश की महत्वपूर्णता
इस आदेश से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि कानून के समक्ष सभी बराबर हैं, और चाहे वह सरकारी वाहन ही क्यों न हो, अगर दुर्घटना चालक की लापरवाही से होती है, तो उसे इसका दंड भुगतना होगा। यह फैसला पुलिस विभाग और अन्य सरकारी संस्थाओं के लिए एक चेतावनी भी है कि वे अपने वाहनों के संचालन में अधिक सतर्कता बरतें, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सके।