Thursday, 19 September

जबलपुर। जबलपुर जिले के आधारताल तहसील के तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे, पटवारी जागेंद्र पिपरे, और तहसील कार्यालय में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर दीपा दुबे समेत सात व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर विजय नगर थाने में यह एफआईआर अनुभागीय राजस्व अधिकारी शिवाली सिंह द्वारा दर्ज कराई गई। इन सभी पर सरकारी पदों का दुरुपयोग कर ग्राम रैगवां की 1.1 हेक्टेयर भूमि पर फर्जी नामांतरण कराने का आरोप है।

भूमि घोटाले में षड्यंत्र और कूटरचना के आरोप

आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत षड्यंत्र और कूटरचित दस्तावेज तैयार कर भूमि स्वामी शिवचरण पांडे का नाम हटाकर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज करने का आरोप है। जांच में सामने आया कि नामांतरण की यह कार्रवाई तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे ने 1970 में बनी एक अपंजीकृत वसीयत के आधार पर की थी, जबकि लगभग 50 वर्षों से भूमि का मालिकाना हक शिवचरण पांडे के पास था।

पटवारी और तहसीलदार की मिलीभगत उजागर

जांच में पाया गया कि तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे ने जानबूझकर भूमि स्वामी शिवचरण पांडे का नाम हटाकर दीपा दुबे के पिता श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज किया। दीपा दुबे तहसील कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं, और उनके भाइयों के नाम भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं। पटवारी जागेंद्र पिपरे की रिपोर्ट भी एकतरफा और दुर्भावनापूर्ण पाई गई, जिसमें भूमि स्वामी से संबंधित दस्तावेजों और गवाहों की सही जांच नहीं की गई।

नकली दस्तावेज और फर्जी शपथ पत्र की जांच

इस मामले में नकली वसीयतनामा के आधार पर नामांतरण करने के लिए फर्जी शपथ पत्र और गवाहों का उपयोग किया गया। जांच में पाया गया कि वसीयतकर्ता महावीर प्रसाद का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं था, फिर भी उनकी 50 वर्ष पुरानी वसीयत को आधार बनाकर नामांतरण की कार्रवाई की गई। गवाहों के शपथ पत्र और दस्तावेज भी फर्जी पाए गए, जिससे स्पष्ट होता है कि यह घोटाला पूरी तरह सुनियोजित था।

अपराधियों की गिरफ्तारी और आगे की कार्रवाई

तहसीलदार हरिसिंह धुर्वे को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य आरोपियों में रविशंकर चौबे, अजय चौबे, हर्ष पटेल, और अमिता पाठक शामिल हैं। इन सभी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 229, 318(4), 336(3), 338, 340(2), 61 और 198 के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच जारी है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी की जा रही है।

निचली अदालत में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आदेश

जांच में यह भी सामने आया कि तहसीलदार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर निचली अदालत में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आदेश पारित किया। महावीर प्रसाद की वसीयत के आधार पर शिवचरण पांडे का नाम हटाकर श्याम नारायण चौबे का नाम दर्ज कर दिया गया, जो पूरी तरह से अवैधानिक था।

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