National Cheetah Project: मध्य प्रदेश के वन विभाग ने चीता प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वभौमिकता के लिए खतरा बताते हुए सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी साझा करने से दूसरी बार मना कर दिया है। यह जानकारी लोकल आदिवासी समाज को रोजगार, बजट, निरीक्षण दौरों और चीता अस्पताल से संबंधित थी।
वन विभाग के प्रभारी पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ शुभरंजन सेन ने लोक सूचना अधिकारी को लिखित रूप से निर्देश जारी कर जानकारी देने से मना किया। इससे पहले, सेन ने फोन पर भी कार्यालय को जानकारी न देने का निर्देश दिया था, जिसे सरकारी फाइलों में दर्ज किया गया है।
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे, जिन्होंने RTI के तहत जानकारी मांगी थी, ने वन विभाग के इस कदम को सूचना का अधिकार कानून का गंभीर उल्लंघन बताया है। दुबे ने कहा कि RTI कानून के तहत लोक सूचना अधिकारी को अपने विवेक से निर्णय लेना होता है, न कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर।
अजय दुबे ने इस मामले में अपील करने और इसे कोर्ट तक ले जाने की बात कही है। उन्होंने कूनो में चल रहे चीता प्रोजेक्ट में गंभीर गड़बड़ी की आशंका भी जताई है।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब वन विभाग ने चीता प्रबंधन से जुड़ी जानकारी देने से इनकार किया है। इसी वर्ष फरवरी में, एक चीता शावक के पैर में फ्रैक्चर की घटना भी एक्टिविस्ट के आवेदन के माध्यम से सामने आई थी, जिसके बाद विभाग ने RTI के जवाब से बचने का प्रयास किया था।
वन विभाग के इस रवैये ने चीता प्रोजेक्ट से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि न्यायिक प्रक्रिया में इस मामले का क्या परिणाम निकलता है।