Tuesday, 17 December

cyber tehsil of Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में राजस्व प्रशासन के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए साइबर तहसील प्रणाली को लागू किया गया है, जिसके माध्यम से पिछले 6 महीनों में एक लाख से अधिक किसानों के पास नामांतरण आदेश पहुंचाए गए हैं। ये आदेश ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए भेजे गए, जिससे प्रक्रिया न केवल तेज हुई है, बल्कि पारंपरिक तहसील प्रक्रिया की तुलना में बेहद कम समय में पूरी हो रही है। साइबर तहसील से नामांतरण आदेश 20 दिन से भी कम समय में पारित किए जा रहे हैं, जबकि पारंपरिक तहसील में इस प्रक्रिया में 70 दिनों से अधिक समय लगता है।

साइबर तहसील: किसानों के लिए बड़ी राहत

साइबर तहसील प्रणाली ने किसानों के हित में एक क्रांतिकारी बदलाव किया है। मध्यप्रदेश वह पहला राज्य है, जिसने देश में इस प्रणाली को लागू किया। राजस्व आयुक्त श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि साइबर तहसील की शुरुआत 29 फरवरी 2024 को हुई थी। पहले चरण में सम्पूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय की रजिस्ट्री के आधार पर नामांतरण प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसकी सफलता के बाद, अगस्त 2024 में साइबर तहसील 2.0 लॉन्च किया गया, जिसके तहत अब खसरा के भाग और हिस्से का नामांतरण भी साइबर तहसील से होने लगा है।

कार्यप्रणाली में सुधार और विस्तार

साइबर तहसील की बढ़ती मांग को देखते हुए, इसमें कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई गई है। पहले तहसीलदार और नायब तहसीलदार के पदों की संख्या 11 थी, जिसे अब बढ़ाकर 25 कर दिया गया है। वर्तमान में, यह व्यवस्था मध्यप्रदेश के सभी 55 जिलों में लागू है। यह पूर्णतः पेपरलेस और फेसलेस ऑनलाइन प्रणाली है, जिससे आवेदकों को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते और उन्हें लंबे इंतजार से भी राहत मिलती है।

अन्य राज्यों में बढ़ती रुचि

मध्यप्रदेश की इस नवीन राजस्व ई-कोर्ट प्रणाली, साइबर तहसील का अध्ययन करने के लिए अब अन्य राज्यों के अधिकारी भी यहां आ रहे हैं। साइबर तहसील में नामांतरण की प्रक्रिया सेल डीड होने के तुरंत बाद शुरू हो जाती है। रजिस्ट्री होने के तुरंत बाद रजिस्ट्री का डेटा राजस्व पोर्टल पर ट्रांसफर कर दिया जाता है और संबंधित ग्रामवासियों को भी एसएमएस के जरिए जानकारी दी जाती है।

इसके अलावा, पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन मिल जाती है और केस के फिट होने पर तुरंत नामांतरण आदेश जारी कर दिया जाता है। आदेश पारित होते ही भूमि अभिलेखों को अद्यतन किया जाता है और ई-मेल एवं व्हाट्सएप के माध्यम से किसानों तक नामांतरण आदेश पहुंचाए जाते हैं।

तेज और पारदर्शी प्रक्रिया

मध्यप्रदेश में शुरू की गई इस साइबर तहसील प्रणाली की प्रक्रिया सिर्फ 20 दिनों में पूरी हो जाती है, जो पारंपरिक प्रणाली के मुकाबले बेहद तेज और पारदर्शी है। यही कारण है कि अब अन्य राज्य भी इस प्रणाली का अध्ययन कर रहे हैं, जिससे देशभर में इसे अपनाने की संभावना बन रही है।

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