Sunday, 8 September

क्यों मनाया जाता है अक्षय तृतीया?

पुराणों के अनुसार इस दिन को महर्षि जमदग्नि और माता रेनुका के यहां भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. इसलिए इस तिथि को परशुराम जयंती (परशुराम जयंती 2024) के रूप में मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार परशुराम को श्री हरि विष्णु के छठवें अवतार के रूप में माना जाता है. इस दिन पुरे श्रद्धा भाव से लोग भगवान परशुराम और श्री हरि की पूजा करते हैं और ऐसी मान्यता है. कि इस दिन की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है.

अक्षय तृतीया के दिन होती है अन्नपूर्णा माता की पूजा

अक्षय तृतीया की पावन तिथि को माता अन्नपूर्णा का अवतरण दिवस भी माना जाता है. इसलिए इस दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन जरूरतमंदों की सेवा करने और उन्हें भोजन कराने से मां अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद भक्तों को देती हैं, जिससे भक्तों का घर धन धान्य से भरा रहता है. अन्नपूर्णा माता को अन्न की देवी माना जाता है. इसलिए अन्नपूर्णा माता के पूजन से कभी भी अन्न की कमी नहीं होती हैं.

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना क्यों होता है शुभ?

अक्षय तृतीया के दिन सूरज की किरणों में काफी तेज होता है सूर्य का संबंध सोने से होता है. इसलिए इस दिन सोना खरीदना शक्ति और ताकत का प्रतीक माना जाता है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर हम भौतिक संसाधन जुटाते हैं तो घर हमेशा धन धान्य से भरा रहता है.

अक्षय तृतीया का महत्व

• जानकारी के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है.

• इस दिन दान पुण्य करने से अक्षय फल (कभी न समाप्त होने वाला) की प्राप्ति होती हैं.

• इस दिन लोग सोने चांदी से बनी चीजों की विशेषतौर पर खरीददारी करते हैं. मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीज में हमेशा बढ़ोत्तरी होती है और सोना खरीदने से सुख समृद्धि आती है।

• इस पावन तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन-धान्य आता है भगवान परशुराम ने भी इसी दिन जन्म लिया था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया 2024 शुभ मुहूर्त

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि: दृक पंचांग के अनुसार, 10 मई को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर अक्षय तृतीया की शुरुआत होगी और अगले दिन यानी 11 मई 2024 को प्रातः काल 2 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 10 मई को अक्षय तृतीया है।

अक्षय तृतीया से कृष्ण सुदामा का भी है संबंध

अक्षय तृतीया को लेकर भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की भी एक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा इसी दिन श्रीकृष्ण के द्वार उनसे अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता मांगने गए थे. भेंट के रूप में सुदामा के पास केवल एक मुट्ठी भर चावल ही था. श्रीकृष्ण से मिलने के बाद अपनी भेंट उन्हें देने में सुदामा को संकोच हो रहा था. लेकिन भगवान कृष्ण ने मुट्ठीभर चावल सुदामा के हाथ से ले लिया और बड़े ही चाव खाया, सुदामा ने आर्थिक सहायता के लिए श्रीकृष्ण से कुछ भी कहना उचित नहीं समझा और वह बिना कुछ बोले अपने घर के लिए निकल पड़े जब सुदामा अपने घर पहुंचे तो उनके टूटे-फूटे झोपड़े के स्थान पर एक भव्य महल था. सुदामा को यह समझते देर न लगी कि यह उनके मित्र और विष्णु अवतार भगवान कृष्ण का ही आशीर्वाद है. यही कारण है। कि अक्षय तृतीया को धन-संपत्ति को लाभ प्राप्ति से भी जोड़ा जाता है.

Share.
Exit mobile version