मुंबई
महाराष्ट्र चुनाव प्रचार अब जोर पकड़ने लगा है और कांग्रेस, बीजेपी समेत सभी दलों के स्टार प्रचारकों के दौरे शुरू हो गए हैं । अगले 13 दिनों तक बड़े नेता महाराष्ट्र में तूफानी दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में 11 रैलियां करेंगे। आठ नवंबर से पीएम मोदी की जनसभा की शुरुआत होगी। 6 नवंबर को राहुल गांधी भी आरएसएस के गढ़ नागपुर से चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। 18 अक्तूबर की शाम को चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। उससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री और बीजेपी के ट्रंप कार्ड साबित हो चुके योगी आदित्य नाथ मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में 15 चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। वह पीएम मोदी से अधिक जनसभाओं में शिरकत करेंगे। एक्सपर्ट मानते हैं कि महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी और ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले नारे का असर भी महाराष्ट्र चुनाव में दिखेगा।जम्मू और हरियाणा में राहुल गांधी पर भारी पड़े योगी
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ का करिश्मा नजर आया। जम्मू-कश्मीर में योगी आदित्यनाथ का स्ट्राइक रेट 90 फीसदी और हरियाणा में करीब 65 फीसदी रहा। जम्मू में योगी ने पांच विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी रैलियां कीं, जिनमें से चार पर बीजेपी को जीत मिली। बीजेपी किश्तवाड़ और कठुआ जैसे मुस्लिम बाहुल्य सीट पर जीतने में सफल रही। किश्तवाड़ में पहली बार बीजेपी की शगुन परिहार ने कमल खिलाया। हरियाणा में भी योगी आदित्यनाथ ने 20 विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया, जिनमें से 13 पर बीजेपी को जीत मिली। यह जीत कांटे के मुकाबले में बीजेपी को तीसरी बार हरियाणा की सत्ता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण साबित हुई। सीएम योगी ने हरियाणा में असंध से चुनावी रैली की शुरुआत की थी। इस सीट से ही राहुल गांधी प्रचार में उतरे थे। असंध में बीजेपी को जीत मिली।
हरियाणा से कनाडा तक लगे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे
हरियाणा चुनाव में ही योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के चुनावी नारे को लॉन्च किया। इस नारे में ग्राउंड पर इस कदर कमाल किया कि बीजेपी ने एंटी इम्कबेंसी और कांग्रेस के नैरेटिव को धवस्त कर दिया। यह नारा इनके जुबान पर इस कदर चढ़ा कि गैर चुनावी राज्यों में भी बीजेपी समर्थक इसे आजमाने लगे। लोकप्रियता का आलम यह है कि कनाडा में हमले के बाद हिंदू समुदाय ने अपने प्रदर्शन में’बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे लगाए। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद मुंबई समेत राज्य के कई हिस्सों में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के पोस्टर लगाए गए। एक्सपर्ट मानते हैं कि चुनाव में एमवीए के लिए मुस्लिम वोटरों की एकजुटता का जवाब इस नैरेटिव से दिया जा सकता है। इससे पहले के चुनाव में बाबा का बुलडोजर भी काफी लोकप्रिय और प्रभावी साबित हुआ था।
क्यों चलता है योगी आदित्यनाथ का करिश्मा
चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ अपने भाषण की शुरुआत महिला विकास, किसान और विकास जैसे मुद्दों से करते हैं। ‘युवाओं के हाथ में तमंचा नहीं टेबलेट होना चाहिए’, यह उनकी पसंदीदा लाइनों में से एक है। इसके बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए काम के जरिये आतंकवाद को लेकर कांग्रेस को निशाने पर रखते हैं। आतंक की बात होती है तो पाकिस्तान की चर्चा लाजिमी है। पाकिस्तान और आतंकवाद के साथ ही वह अपना संदेश साफ कर देते हैं। दंगों की चर्चा करते हैं तो बुल्डोजर एक्शन के बारे में बताते हैं। राम मंदिर की चर्चा तो सभा में मौजूद के लोगों को अयोध्या में दर्शन का निमंत्रण देते हैं। जब समां बंध जाता है तो वह सभा में मौजूद लोगों से संवाद भी करते हैं। यूपी में सड़कों पर नमाज बंद, मस्जिदों में लगे लाउड स्पीकर हटाने और अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन पर भी जनता का फीडबैक लेते हैं। हरियाणा में राहुल गांधी के जातिगत आरक्षण के जवाब में ही उन्होंने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया था।
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