मकर संक्रांति हिंदू धर्म का बहुत विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार है. भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद ये त्योहार मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान और दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति पर स्नान और दान से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
कल है मकर संक्रांति का पर्व
कल 14 जनवरी है. भगवान सूर्य कल मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. भगवान सूर्य का मकर राशि में प्रवेश कल सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर होगा. ऐसे में कल मकर संक्रांति का पर्व है. मकर संक्रांति पर स्नान और दान के साथ-साथ खिचड़ी बनाकर खाने की परंपरा भी है. आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है. इसके पीछे की परंपरा क्या है.
मकर संक्रांति पर क्यों बनाई जाती है खिचड़ी?
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने की पंरपरा का उल्लेख कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी भगवान सूर्य और शनि देव से जुड़ी है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने और खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. दाल, चावल और हरी सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. इसलिए खिचड़ी को पौष्टिक आहार माना जाता है. खिचड़ी खाने से सर्दियों में एनर्जी मिलती है. साथ ही शरीर गर्म रहता है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है.
खिचड़ी का क्या है महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खिचड़ी के चावल, काली दाल, हल्दी और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि खिचड़ी के चावल का चंद्रमा और शुक्र की शांति से महत्व है. काली दाल से शनि राहू और केतु का महत्व बताया जाता है. खिचड़ी में पड़ने वाली हल्दी का संबंध गुरू बृहस्पति से है. इसमें पड़ने वाली हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं.
वहीं खिचड़ी के पक जाने पर उससे जो गर्माहट निकलती है, उसका संबध भगवान सूर्य और ग्रहों के सेनापति मंगल से बताया जाता है. इस तरह सभी नवग्रहों से खिचड़ी का संबंध है. इसलिए इस दिन खिचड़ी के दान का बहुत महत्व माना जाता है.
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