नई दिल्ली
देशभर में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ करवाने की ओर मोदी सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद विधेयक को संसद के शीत सत्र के दौरान ही लोकसभा में पेश कर दिया जाएगा। बता दें कि एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। 14 मार्च को समिति ने अपनी रीपोर्ट सौंप दी थी। एकसाथ चुनाव कराने के लिए प्रस्तावित विधेयक में संकेत यही मिलता है कि यह प्रक्रिया 2034 से लागू की जाएगी।
विधेयक की कॉपी की बात करें तो अगर किसी लोकसभा या विधानसभा में समय से पहले चुनाव करना है तो संसद या फिर विधानसभा को भंग करना पड़ेगा। विधेयक में आर्टिकल 82 (A) को शामिल करने का प्रस्ताव है जिसके तहत सभी विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव साथ में कराए जाएंगे। इसके अलावा आर्टिकल 83 में भी संशोधन करना पड़ेगा। इसमें संसद के सदनों के कार्यकाल की बात कही गई है। इसके अलावा आर्टिकल 172 और 327 में भी संशोधन करना होगा। इन आर्टिकल में विधानसभा के चुनाव के बारे में संसद को नियम बनाने का अधिकार दिया गया है।
गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट में 129वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी। जानकारी के मुताबिक आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक के दौरान राष्ट्रपति ही एक राष्ट्र एक चुनाव के समय का ऐलान करेंगे। इसका मतलब यह तारीख 2929 के लोकसभा चुनाव के बाद निर्धारित की जाएगी। ऐसे में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ 2034 से पहले नहीं शुरू हो पाएंगे।
सरकार लोकसभा में वित्तीय अनुदान संबंधी कामकाज पूरा करने के बाद ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से संबंधित विधेयकों को पेश करेगी। सूत्रों ने यह जानकारी दी। इससे पहले, दो विधेयक – संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और संघ राज्यक्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक – सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध थे।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि सोमवार के लिए सूचीबद्ध अनुदानों की अनुपूरक मांगों के पहले बैच को सदन द्वारा पारित किए जाने के बाद ये विधेयक इस सप्ताह बाद में पेश किए जा सकते हैं। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी संशोधित कार्यसूची में सोमवार के एजेंडे में ये दोनों विधेयक शामिल नहीं हैं। हालांकि सरकार लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से अंतिम समय में ‘अनुपूरक कार्य सूची’ के माध्यम से संसद में विधायी एजेंडा पेश कर सकती है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से संबंधित दो विधेयक प्रक्रिया के नियमों के अनुसार पिछले सप्ताह सांसदों के बीच वितरित किए गए। संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होगा।
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