Friday, 20 September

नई दिल्ली
हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दलित समर्थकों का एक हिस्सा विपक्षी INDIA गठबंधन की ओर खिसकने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ। 400 पार के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही बीजेपी मात्र 240 और एनडीए 293 सीटों पर सिमट गया था। इसके बाद संघ परिवार गांवों और शहरों में दलित बस्तियों को ध्यान में रखते हुए 15 दिनों तक धर्म सम्मेलन करने की योजना बना रहा है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में दलित घरों में खाना खाने और दलित बस्तियों में धार्मिक प्रवचन देने को शामिल किया गया है।

क्या है पूरा कार्यक्रम समझिए
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह कार्यक्रम दिवाली से 15 दिन पहले शुरू होगा, जो कि 1 नवंबर को है। हमने धार्मिक नेताओं और संतों से शहरों और कस्बों में दलित गांवों और बस्तियों में पदयात्रा करने का अनुरोध किया है। इन दौरान, संत समुदाय के साथ भोजन करेंगे और धार्मिक प्रवचन भी देंगे। यह समाज में धार्मिक जागृति के लिए किया जा रहा है। हम समय-समय पर ऐसा करते रहते हैं। हमारा विचार यह है कि सत्संग लोगों के आने की प्रतीक्षा करने के बजाय, सत्संग लोगों के पास जाए।

तो वजह ये है
इससे पहले, संगठन कृष्ण जन्माष्टमी पर अपनी 60वीं वर्षगांठ के जश्न में भी व्यस्त रहेगा। 24 अगस्त से शुरू होकर, वीएचपी देश भर के लगभग 9000 ब्लॉकों में इस संबंध में धार्मिक सम्मेलन आयोजित करेगा। आलोक कुमार ने कहा कि इनमें समाज के विभिन्न वर्गों, जिनमें महिलाएं और दलित शामिल हैं, की भागीदारी होगी। यद्यपि ये कार्यक्रम समाज में छुआछूत को खत्म करने और हिंदुओं को एकजुट करने के संघ परिवार की दीर्घकालिक परियोजना के अनुरूप हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में दलितों के एक बड़े हिस्से द्वारा कथित तौर पर पक्ष बदलने के मद्देनजर इसका राजनीतिक महत्व भी है।

पार्टी को लोकसभा चुनाव में हुआ नुकसान
इस बार कुछ हिंदी भाषी राज्यों के अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी ऐसा बदलाव देखा गया, जिससे भाजपा की चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा। पार्टी 272 सीटों के साधारण बहुमत से 32 सीटें पीछे रह गई। भाजपा को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा, जहां जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन करने के बावजूद पार्टी न केवल अयोध्या (फैजाबाद) सीट समाजवादी पार्टी (सपा) से हार गई, बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में अपनी 62 सीटों से घटकर इस बार सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई। चुनावों में दलितों का रुख भाजपा के कुछ उम्मीदवारों के बयानों से प्रभावित हुआ। ऐसे नेताओं ने अपने चुनाव प्रचार में संकेत दिया कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 400 सीटें पार कर गया तो संविधान को बदलकर हिंदू राष्ट्र बनाने की सुविधा दी जाएगी। इस बात का इंडिया गठबंधन ने जल्दी ही फायदा उठाया और दलित आइकन बी आर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान को बचाने के मुद्दे पर चुनाव लड़ा।


Source : Agency

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