जोधपुर.
1962 के भारत-चीन युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का सोमवार को बलिदान दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर जोधपुर के पावटा चौराहे पर स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। यहां नागरिकों, प्रशासन सेवा के सेवानिवृत्त एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों, सामाजिक संगठनों और विद्यार्थियों ने परमवीर मेजर शैतान सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और पुष्प चक्र अर्पित कर उनके शौर्य को सलाम किया।
इस अवसर पर मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री की टुकड़ी ने पाइप बैंड के साथ मातमी और सलामी धुन के बीच शस्त्र उल्टे कर सलामी दी। चौपासनी विद्यालय के छात्रों ने केसरिया साफा पहनकर मेजर शैतान सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जोधपुर कर्नल दलीप सिंह खंगारोत ने बताया कि परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन के साथ चुशूल सेक्टर में तैनात थे। उनकी कमान के तहत सी कंपनी रेजांग ला में एक पोस्ट पर तैनात थी। 18 नवंबर 1962 की सुबह चीनी सेना ने हमला कर दिया। कई असफल हमलों के बाद चीनी सेना ने पीछे से हमला किया। भारतीयों ने आखिरी तक लड़ा, लेकिन अंततः चीनी सेना हावी हो गई। युद्ध के दौरान मेजर शैतान सिंह लगातार पोस्टों के बीच सामंजस्य और पुनर्गठन बनाए रखते हुए जवानों का हौसला बढ़ाते रहे। चूंकि वह एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर बिना किसी सुरक्षा के जा रहे थे, इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गए और वीर गति को प्राप्त हो गए। उनके इन वीरता भरे देशप्रेम को सम्मानित करते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1963 में उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया।
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