Tuesday, 17 December

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं, रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं, भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं.

रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का पर्व है. रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त यानी आज मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन की पूर्णिमा तिथि आज सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि पूरे दिन रहेगी यानी रात 11 बजकर 55 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा. रक्षाबंधन के पावन पर्व में भद्रा को बहुत ही महत्व दिया जाता है क्योंकि भद्रा में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. इसलिए, इस काल में राखी भी नहीं बांधनी चाहिए. तो चलिए आज भद्रा का समय या भद्रा में राखी बांधी जाएगी इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानते हैं. साथ ही राखी बांधने के शुभ मुहूर्त भी जानते हैं.

भद्रा काल का समय

भद्रा काल बहुत ही अशुभ माना जाता है. भद्रा 19 अगस्त यानी आज रात 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो चुकी है. आज सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक भद्रा पूंछ रहेगी. फिर, सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख रहेगा. इसके बाद, भद्रा काल का समापन आज दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा. आज दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के बाद ही राखी बांधी जा सकती है.हालांकि, आज भद्रा में भी राखी बांधी जा सकती है. इस पर ज्योतिर्विद ज्योतिषी प्रवीण मिश्र क्या कहते हैं चलिए जानते हैं.

क्या भद्रा में भी राखी बांध सकते हैं  

ज्योतिषी प्रवीण मिश्र के अनुसार, इस बार भद्रा में भी राखी बांधी जा सकती है. दरअसल, इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में होगा और विद्वानों का मत है कि अगर भद्रा का वास पाताल लोक या स्वर्ग लोक में होता है तो पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए भद्रा अशुभ नहीं होती है. और लोग भद्रा को नजरअंदाज करके रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं. हालांकि, जिन लोगों के लिए जरूरी है वो ही लोग इस बार भद्रा में भी राखी बांध सकते हैं.

19 अगस्त यानी आज राखी बांधने का ये रहेगा शुभ मुहूर्त

19 अगस्त यानी आज राखी बांधने का सबसे खास मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा, आप इसमें राखी बांध सकते हैं. राखी बांधने के लिए कुल आपको 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा, जो कि सबसे शुभ समय माना जा रहा है.  

इसके अलावा, आप शाम के समय प्रदोष काल में भी राखी बांध सकते हैं. आज प्रदोष काल शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.

रक्षाबधन पूजा विधि
रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए एक थाली में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, राखी, मिठाई और घी का एक दीपक रखें. पूजा की थाली को सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं. पहले भाई के माथे पर तिलक लगाएं. फिर रक्षासूत्र बांधकर आरती करें. इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की लंबी आयू की मंगल कामना करें. रक्षासूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए. रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता पिता का आशीर्वाद लें और बहन के पैर छूकर उसे उपहार भेंट करें.

भाई की कलाई पर कैसे बांधे राखी?

सबसे पहले एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. इसमें भाई की आरती करने के लिए घी का एक दीपक भी रखें. रक्षा सूत्र या राखी और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं.

पहले भाई को तिलक लगाएं फिर रक्षा सूत्र बांधें और भाई की आरती उतारें. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाकर उसकी मंगल कामना करें. रक्षासूत्र बांधने के समय भाई और बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए. राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी क्षमतानुसार बहन को कोई गिफ्ट या उपहार भी भेंट कर सकते हैं.

रक्षाबंधन पर करें इस मंत्र का जाप

हिंदू धर्म में रक्षा बंधन की विशेष मान्यता है. ऐसे में आप भी अपने भाई को राखी बांधते वक्त इस विशेष मंत्र का जाप करें. माना जाता है कि इस जाप को जपते हए राखी बांधने से भाई-बहन का प्यार हमेशा बना रहता है.

राखी बांधते वक्त इस मंत्र का करें जाप

‘येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः
तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः’.

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षा के लिए बांधा जाने वाला धागा रक्षासूत्र है. माना जाता है कि राजसूय यज्ञ के समय में भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षासूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसके बाद बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई. साथ ही पहले के समय में ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ शुरू करते हैं. इसलिए रक्षाबंधन वाले दिन यानी श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वाले दिन शिक्षा का आरंभ करना भी शुभ माना जाता है.

 


Source : Agency

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