नई दिल्ली
नरेंद्र मोदी सरकार आने से पहले मतलब कि साल 2013-14 में रेलवे का बजट महज 28,174 करोड़ रुपये का हुआ करता था। इस साल यानी वर्ष 2024-25 का रेल बजट (Rail Budget) 2.62 लाख करोड़ रुपये का हो गया है। मतलब कि रेलवे का बजट लगातार बढ़ रहा है। साथ ही बढ़ रेलवे की परिसंपत्ति (Assets)। इसकी सुरक्षा और रख-रखाव के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता है। यह कहना है रेलवे बोर्ड (Railway Board) के नए अध्यक्ष सतीश कुमार का। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें रेलवे बोर्ड को गैर-राजपत्रित पद सृजित करने की शक्ति देने का आग्रह किया है।
एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी को लिखा है पत्र
सतीश कुमार ने बीते दिनों ही इस संबंध में वित्त मंत्रालय के एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी मनोज गोविल को एक पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने कहा है कि रेलवे की लगातार बढ़ती परिसंपत्तियों और सुरक्षित ट्रेन ऑपरेशन को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त मैनपावर की तत्काल आवश्यकता है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने वित्त मंत्रालय से सुरक्षा और आवश्यक श्रेणियों में गैर-राजपत्रित पद सृजित करने की शक्ति देने का आग्रह किया है।
बढ़ रहा है कैपिटल एक्सपेंडिचर
वित्त मंत्रालय में सचिव (व्यय) मनोज गोविल को लिखे एक पत्र में, कुमार ने कहा है कि रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। साल 2019-20 में यह 1.48 ट्रिलियन रुपये से बढ़ कर साल 2023-24 में 2.62 ट्रिलियन तक पहुंच गया है। कुमार ने लिखा है, “इस पूंजीगत व्यय के परिणामस्वरूप रेलवे एसेट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसे संभालने लिए तथा विश्वसनीय और सुरक्षित ट्रेन ऑपरेशन के लिए पर्याप्त मैनपावर की आवश्यकता है।”
चलानी है ढेरों ट्रेनें
कुमार ने तर्क दिया है कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, अधिक ट्रेनें चलानी होंगी। और ज्यादा ट्रेन चलाने के लिए और इंफ्रास्ट्रक्चर क्रिएट करना होगा। इन दोनों कार्यों के लिए अधिक मैनपावर की आवश्यकता होगी। कुमार ने कहा, “वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग (डीओई) के मौजूदा निर्देश के अनुसार, पदों के सृजन (रेलवे में चालक दल को छोड़कर) के लिए व्यय विभाग की मंजूरी की आवश्यकता होती है।”
पूरा लिस्ट भी दिया है
कुमार ने पिछले पांच वर्षों में रेलवे में बनाई गई नई परिसंपत्तियों का सारांश भी इस पत्र में संलग्न किया है। सारांश के अनुसार, महज पांच साल में ही ट्रैक सर्किट में 269 प्रतिशत, रेलवे विद्युतीकरण में 79 प्रतिशत और इलेक्ट्रिक और डीजल दोनों इंजनों वाले लोको शेड में 227 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यही नहीं, रेल मार्गों को कवच के कवरेज में 486 प्रतिशत की वृद्धि, इंजनों की संख्या में 59 प्रतिशत की वृद्धि और ट्रेन के डिब्बों में 30 प्रतिशत की वृद्धि भी दिखाई गई है। कुमार ने कहा है कि नई परिसंपत्तियों के निर्माण और नई लाइनों के निर्माण/जोड़ने के लिए सभी मापदंडों, विशेष रूप से सुरक्षा से संबंधित मापदंडों को ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए रेलवे सुरक्षा आयुक्त द्वारा मंजूरी के लिए पूरा करना अनिवार्य है।
आउटसोर्स व्यवहार्य नहीं
उन्होंने कहा, “यह भी ध्यान देने योग्य है कि सुरक्षा आवश्यकताओं के कारण इन गतिविधियों को आउटसोर्स करना व्यवहार्य नहीं माना जाता है। रेलवे के कुछ कार्य, जैसे कि पटरियों, पुलों आदि का रखरखाव/मैनिंग, लोको, कोच और वैगन का रखरखाव, सिग्नलिंग रखरखाव आदि सेफ्टी कैटेगरी में आते हैं।” विभिन्न परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी और निष्पादन, नई परिसंपत्तियों के रख-रखाव और ट्रेनों के सुचारू और सुरक्षित संचालन जैसे विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए, कुमार ने कहा कि रेलवे में अतिरिक्त मैनपावर की तत्काल आवश्यकता है।
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