नई दिल्ली
राजनीतिक तनाव, धीमी आर्थिक ग्रोथ और जबरदस्त घरेलू प्रतिस्पर्धा अमेरिकी कंपनियों के चीन में कारोबार करने के भरोसे को कमजोर कर रही है. एक सर्वे में दावा किया गया है कि इससे अमेरिकी कंपनियों का चीन में कारोबार को लेकर अगले 5 साल के आउटलुक में रिकॉर्ड गिरावट आई है. लेकिन चीन में घटते अमेरिकी कंपनियों के इस भरोसे का सबसे बड़ा फायदा भारत को मिल सकता है.
सर्वे में शामिल कंपनियों में से 47 फीसदी अमेरिकी कंपनियां ही अब चीन में अगले 5 साल के लिए कारोबार करने को लेकर भरोसमंद हैं. ये पिछले साल के मुकाबले 5 परसेंटेज प्वाइंट्स की गिरावट है. अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स शंघाई ने इस सर्वे को किया था जिसके मुताबिक 1999 में रिपोर्ट की शुरुआत के बाद से ये अबतक का सबसे कमजोर आउटलुक है. इसके साथ ही 2023 में चीन में मौजूद अमेरिकी कंपनियों में से केवल 66 फीसदी को मुनाफा हुआ जो फिर से एक रिकॉर्ड गिरावट है. प्रॉफिट में कमी की वजह घरेलू मांग, महंगाई और भूराजनीतिक चिंताएं शामिल हैं.
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शंघाई के अमचैम के मुताबिक ये ट्रेंड बिजनेस प्लान्स पर असर डाल रहा है. इससे अमेरिकी विदेशी निवेश चीन में 2023 में 14 फीसदी गिरकर 163 अरब डॉलर रह गया. भूराजनीतिक तनाव अमेरिकी कंपनियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. इसके साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव से पहले दोनों के रिश्तों को लेकर दुविधा बढ़ गई है. वहीं चीन में बने EVs पर 100 फीसदी, सेमीकंडक्टर्स और सोलर सेल्स पर 50 परसेंट और लिथियम-आयन बैट्रीज़ पर 25 फीसदी शुल्क लगाने का प्रस्ताव इस साल दो बार टाल दिया गया है. चीन ने अमेरिका से सभी ड्यूटीज तुरंत हटाने की अपील करते हुए धमकी दी है कि बदले में वो भी ऐसे ही चार्ज अमेरिकी उत्पादों पर लगा सकता है.
भारत आएंगी 40% कंपनियां!
इस सर्वे में अमेरिका और चीन के रिश्तों को लेकर भी सवाल पूछे गए थे जिसमें 66 फीसदी कंपनियों ने दोनों देशों के रिश्तों को सबसे बड़ी चुनौती बताया और 70 परसेंट ने चीन की आर्थिक ग्रोथ को सबसे बड़ी चुनौती माना है. वहीं 35 फीसदी कंपनियों ने चीन के रेगुलेटरी माहौल को पारदर्शी बताया है. लेकिन 60 फीसदी ने स्थानीय कंपनियों को ज्यादा तरजीह देने की बात कही है.
सर्वे में कहा गया है कि अब 40 फीसदी अमेरिकी कंपनियां निवेश को चीन से दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत की तरफ मोड़ रही हैं. अमचैम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल की तरह इस साल भी 40 फीसदी कंपनियां चीन के बजाय दूसरे देशों में निवेश करने की योजना बना रही हैं. यूरोपीय चैंबर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि चीन में व्यापार करने की चुनौतियां प्रॉफिट पर भारी पड़ रही हैं.
Source : Agency