नई दिल्ली
दिल्ली में फर्जी राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड निरस्त किए जा रहे हैं. इसके पीछे का कारण है सत्यापन के लिए दिए गए पते पर धारक का न मिलना. निरस्त किए गए राशन कार्ड धारकों की जगह नए आवेदकों के राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं. दिल्ली सरकार का खाद्य एंव आपूर्ति विभाग तीन माह से राशन नहीं लेने वाले कार्ड धारकों की जांच कर रहा है. दिल्ली में फिलहाल 19 लाख राशन कार्ड धारक हैं, जिन पर 71 लाख लोगों के अनुसार राशन वितरित किया जा रहा है.
दिल्ली सरकार ने लोगों से कि खास अपील
दिल्ली के खाद्य और आपूर्ति मंत्री इमरान हुसैन का कहना है कि जिन लोगों के राशन कार्ड बने हैं वे राशन केंद्रों से राशन लेते रहें जिससे किसी को भी असुविधा का सामना न करना पड़े. उन्होंने कहा कि दिल्ली में राशन कार्ड का कोटा पूरा हो चुका है जबकि अब भी कई सारे लोग राशन कार्ड बनवाने की लाइनों में लगे हुए हैं. मंत्री इमरान हुसैन ने राशन कार्ड का कोटा बढ़ाने के लिए केंद्र को पत्र लिखने की बात भी कही है.
1 साल में रद्द हुए 40 हजार राशन कार्ड
दिल्ली में सही लोगों तक राशन पहुंचाने के लिए पेंशन धारक और राशन कार्ड धारकों का घर घर जाकर सत्यापन किया जाता है जिसके चलते कई लोग दिए गए पते पर मिलते ही नहीं हैं. नए आवेदकों के राशन कार्ड बन सकें इसलिए विभाग उन लोगों की जांच कर रहा है जो राशन कार्ड से राशन लेना बंद कर चुके हैं. इस दौरान 1 साल में करीब 40 हजार लोगों के राशन कार्ड को दिल्ली सरकार निरस्त कर चुकी है.
सत्यापन के दौरान दिए गए पते पर न मिलना निरस्त होने का बड़ा कारण
ऐसे मामलों का पता जुलाई 2021 में लगा इसके बाद हर राशन की दुकान पर ई-पास सिस्टम लगाए गए. लेकिन विभाग को इंतजार था कि लोग राशन लेने आएंगे, जब ये लोग राशन लेने नहीं आए तो विभाग ने घर घर जाकर इसका सत्यापन किया तो 40 हजार से ज्यादा लोग सत्यापन के लिए दिए गए पते पर मौजूद ही नहीं थे. जिसके चलते इन लोगों के राशन कार्ड निरस्त कर दिए गए.
बायोमैट्रिक सिस्टम से बंद हुई राशन की चोरी
खबर है कि जब से दुकानों पर ई-पास सिस्टम लगा है उसमें आधार कार्ड जुड़ा है तब से राशन लेने वाले व्यक्ति की बायोमेट्रिक पहचान दर्ज की जाती है. इसके आधार पर ही राशन जारी होता है. इससे राशन की चोरी बंद हुई है और घपलों में गिरावट आई है. इसके बाद से ऐसे लोगों ने राशन लेना बंद कर दिया है जो या तो सरकारी नौकरी में हैं या फिर राशन पाने वालों की इस श्रेणी में नहीं आते हैं. इसके अलावा 2020-21 में कोरोना महामारी के बाद भी कई लोग अपने गांव चले गए जो लौट कर वापस ही नहीं आए.
Source : Agency
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