Friday, 10 January

हिंदू धर्म में हर महीने कोई न कोई व्रत पड़ता है जिसका अपना महत्व होता है. इन्हीं में शामिल है प्रदोष व्रत. हिंदू धर्म में इस व्रत को बेहद विशेष माना गया है. ये व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को और महीने में दो बार पड़ता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में ये दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है. मान्यताओं के अनुसार, जो भी प्रदोष व्रत करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामना पूरी करते हैं. व्रत करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि का वास रहता है.जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है, तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस साल भी पहला प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है. इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इसलिए इस दिन पूजा करने से भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की कृपा भी मिलती है.

शनि प्रदोष व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल शनि प्रदोष व्रत की तिथि की शुरुआत 11 जनवरी को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर होगी. वहीं इस तिथि का समापन 12 जनवरी को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के समय 5 बजकर 43 पर शुरू होगा. पूजा का ये शुभ मुहूर्त रात 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा.

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि

    शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी स्नान करके शिव जी की पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
    इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए.
    पूजा की शुरुआत गंगाजल अभिषेक से करनी चाहिए.
    इसके बाद शिवलिंग पर अक्षत, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फूल, चंदन आदि अर्पित करना चाहिए.
    धूप और दीप जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए.
    शनि प्रदोष व्रत की कथा भी सुननी चाहिए.
    पूजा के समापन के समय कपूर या घी के दीपक से भगवान शिव की आरती करनी चाहिए.
    अंत में भगवान शिव से आशीर्वाद मांगना चाहिए.

शनि प्रदोष व्रत का महत्व

शिव पुराणों में शनि प्रदोष व्रत का महत्व और महिमा का वर्णन मिलता है. इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं. साथ ही आरोग्य प्राप्त होता है. मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत और पूजन करने से 100 गायों को दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त होता है.इस दिन व्रत और पूजन से सौभाग्य मिलता है. संतान प्राप्ति के लिए भी शनि प्रदोष व्रत किया जाता है.


Source : Agency

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