नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट (SC) ने शुक्रवार को देशभर में कोचिंग संस्थानों के लिए समान सुरक्षा उपायों की मांग की और हाल ही में दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर में तीन छात्रों की दुखद मौत के बाद गठित समिति को चार सप्ताह के भीतर अंतरिम उपाय प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण घटना दिल्ली में हुई, लेकिन यह कहीं और भी हो सकती है। हमने इस मुद्दे को पूरे देश में विस्तार देने का विचार किया था, लेकिन अब केंद्र द्वारा एक समिति का गठन हो चुका है।” दिल्ली के कोचिंग सेंटर में हुई घटना की जांच के लिए केंद्र सरकार ने ये समिति नियुक्त की थी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा 30 जुलाई को गठित समिति की अधिसूचना अदालत के समक्ष प्रस्तुत की। यह समिति दिल्ली स्थित राउ IAS स्टडी सर्कल में जलभराव के कारण हुई तीन छात्रों की मौत की घटना की जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नीतिगत सुझाव देगी। समिति में गृह मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली सरकार के गृह विभाग, दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग के अधिकारी शामिल हैं। इसे दिल्ली घटना के कारणों की जांच, जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपाय सुझाने का काम सौंपा गया है।
अदालत ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को भी इस समिति की सहायता करने का निर्देश दिया ताकि एनसीआर में विभिन्न एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने के लिए एक समान पहल की जा सके। साथ ही अदालत ने इन राज्यों से यह बताने के लिए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कौन-कौन से कानून और उपाय अपनाए हैं।
पीठ ने समिति को इस मामले में तेजी से काम करने की सलाह दी और कहा कि किसी भी सिफारिश को तुरंत लागू किया जाना चाहिए ताकि इसे समय पर किया गया कदम माना जा सके। अटॉर्नी जनरल ने आश्वासन दिया कि समिति चार सप्ताह के भीतर अंतरिम उपाय प्रस्तुत करेगी। दिल्ली में हुई घटना 27 जुलाई को राउ IAS स्टडी सर्कल में घटी थी। जान गंवाने वाले तीन छात्रों में उत्तर प्रदेश की श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन (24) शामिल हैं।
ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित ‘राव आईएएस स्टडी सर्किल’ के बेसमेंट स्थित पुस्तकालय में भारी बारिश के कारण पानी भर गया था, जिससे सिविल सेवा की परीक्षा की तैयार कर रहे तीन अभ्यर्थियों की डूबने से मौत हो गई थी। उच्चतम न्यायालय ने पांच अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि कोचिंग सेंटर ‘डेथ चेंबर’ बन गए हैं और छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके लिए उसने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था।
अदालत ने इस घटना को ‘आंखें खोलने वाली’ करार देते हुए कोचिंग संस्थानों को मौत के ‘चेंबर’ न बनने की चेतावनी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग संस्थानों के लिए अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र (NOC) और मास्टर प्लान फॉर दिल्ली-2021 तथा यूनिफाइड बिल्डिंग बाईलॉज, 2016 के तहत आवश्यक सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले महीने के लिए निर्धारित की है।
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