नई दिल्ली। चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह साफ है कि रिटर्निंग अधिकारी ने मतपत्रों को नष्ट किया है। कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या इसी तरह से चुनाव का आयोजन होता है। ऐसा बर्ताव लोकतंत्र की हत्या है। पूरे मामले से हम हैरान हैं। इस अधिकारी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। क्या यह पीठासीन अधिकारी का व्यवहार है? गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आम आदमी पार्टी के पार्षद और पार्टी की तरफ से मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने याचिका दायर की है। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने सुनवाई की।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से मतपत्र, वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री समेत चुनाव प्रक्रिया के पूरे रिकॉर्ड को संरक्षित करने का आदेश दिया। वहीं अगली सुनवाई तक चंडीगढ़ निगम की आगामी बैठक को टालने का निर्देश दिया।
आम आदमी पार्टी का आरोप है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से नहीं हुआ था और मतपत्रों से छेड़छाड़ की गई। ऐसे में आप ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने आप पार्षद को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन, नगर निगम, पीठासीन अधिकारी और नव-निर्वाचित मेयर मनोज सोनकर सहित अन्य को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा था। इस पर आप पार्षद ने अंतरिम राहत न मिलने और तीन सप्ताह बाद मामले को सूचीबद्ध करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में ये भी मांग की गई थी कि नव-निर्वाचित मेयर के कामों पर रोक के निर्देश दिए जाएं। चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। रविवार को भी ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर हंगामा हुआ और कई आप नेताओं को हिरासत में लिया गया।