पटना।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार विधान परिषद उपचुनाव के नतीजे घोषित करने पर रोक लगा दी। यह सीट पहले राजद से निष्कासित नेता सुनील कुमार सिंह के पास थी। पिछले साल 26 जुलाई को सुनील कुमार सिंह को सदन में अभद्र व्यवहार की वजह से बिहार विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी माने जाने वाले नेता पर 13 फरवरी 2024 को सदन में तीखी नोकझोंक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी करने का आरोप है।
उपचुनाव के नतीजे 16 जनवरी को घोषित होने थे
सुनील कुमार सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि सीट के लिए उपचुनाव के नतीजे 16 जनवरी को घोषित किए जा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि चुनाव निर्विरोध हुआ है। पीठ ने कहा कि चूंकि वह पहले से ही मामले पर दलीलें सुन रही है, इसलिए इस बीच सीट के लिए कोई परिणाम घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
निष्कासन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई
सिंघवी ने कहा कि कोर्ट अगस्त 2024 से निष्कासन के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही है और अगर कल अदालत याचिका को अनुमति देती है, तो यह एक अजीब स्थिति होगी, क्योंकि एक ही सीट के लिए दो उम्मीदवार होंगे। पीठ ने कहा कि वह 16 जनवरी को राज्य विधान परिषद, आचार समिति और अन्य की दलीलें सुनेंगी, जिसके बाद वह इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखेगी।
क्या है मामला?
2024 में आचार समिति की ओर से कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के एक दिन बाद सुनील के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया था। उन पर मुख्यमंत्री की शारीरिक भाषा की नकल करके उनका अपमान करने और आचार समिति के सामने उपस्थित होने के बाद समिति के सदस्यों की योग्यता पर सवाल उठाने का भी आरोप लगाया गया था। उनके निष्कासन के अलावा एक अन्य राजद एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब को भी दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। आचार समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि सोहैब ने जांच के दौरान अपने कार्यों के लिए खेद जताया, जबकि सिंह अपनी बात पर अड़े रहे।
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