उज्जैन
इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने उज्जैन जनपद पंचायत अध्यक्ष पद के 2022 के चुनाव को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस चुनाव को रद्द करते हुए दोबारा चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर को अब फिर से निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. मालूम हो कि 2022 में हुए जनपद अध्यक्ष पद के चुनाव में भले ही बीजेपी के पास बहुमत था, लेकिन कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को विजयी घोषित कर दिया गया था. अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यह मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है.
28 जुलाई 2022 को उज्जैन जनपद पंचायत में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव हुए थे. 25 सदस्यों वाले इस जनपद में 13 सदस्य बीजेपी के थे, जबकि कांग्रेस समर्थित संख्या कम थी. इसके बावजूद, प्रशासन की कथित गड़बड़ी के कारण बीजेपी के सदस्य वोट नहीं डाल सके. ऐसे में कांग्रेस समर्थित विंध्या देवेंद्र सिंह पवार को अध्यक्ष और नासीर पटेल को उपाध्यक्ष चुना गया था.
12 सदस्यों ने ही की थी वोटिंग
याचिकाकर्ता अनंत यादव रीड ने कहा कि हमने यह मामला उठाया क्योंकि चुनाव प्रक्रिया में धांधली हुई थी. 12 सदस्यों ने ही वोटिंग की और बाकी सदस्यों को वोट नहीं डालने दिया गया. यह पूरी तरह से प्रशासकीय साठगांठ थी. हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया है और अब दोबारा निष्पक्ष चुनाव होंगे. इस विवादास्पद चुनाव के बाद बीजेपी के कार्यकर्ता और तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने विरोध प्रदर्शन किया था. उन्होंने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताया था. वहीं कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन कराई गई जीत बताया था.
कांग्रेस के नगर निगम नेता प्रतिपक्ष रवि राय ने कहा कि गड़बड़ी हुई थी तो प्रशासनिक अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. यह फैसला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. हमारी जीत लोकतांत्रिक तरीके से हुई थी, लेकिन कोर्ट ने कहा है तो चुनाव प्रक्रिया जनपद सदस्यों के साथ मिलकर फिर करेंगे.
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