Bhopal.अयोध्या राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इनकार कर दिया है. इसके बाद से ही प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में न जाने वाले नेता भी शंकराचार्य के इस कार्यक्रम में न जाने के लिए दिए तर्कों को लगातार दोहरा रहे हैं. राम मंदिर उद्घाटन की तैयारियों के दौरान हुए इस बंटवारे के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को केरल स्थित आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि कालड़ी पहुंचे।
कालड़ी में शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘मैं सौभाग्यशाली हूं कि आज आदि शंकराचार्य जी की जन्मभूमि आया हूं. यहीं उन्होंने जन्म लिया था और यहीं से वह गुरु की खोज में पदयात्रा कर ओंकारेश्वर की ओर निकले थे. आचार्य शंकर के कारण ही आज भारत सांस्कृतिक रूप से एक है. उन्होंने दक्षिण से उत्तर, पूर्व से पश्चिम सारे भारत को जोड़ा. उनकी कृपा से ही हमारी संस्कृति, जीवन मूल्य और परंपराएं बची हुई हैं.’
शिवराज ने बताया शंकराचार्य का मध्य प्रदेश से संबंध
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘केरल की भूमि अत्यंत पवित्र है. इस धरती ने सनातन को आदि शंकराचार्य जी जैसा नायक दिया, जिसने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भौगोलिक स्तरों पर सार्वभौमिक एकात्मता का सूत्रपात किया. मैं आचार्य शंकर की ज्ञानभूमि और गुरु भूमि मध्य प्रदेश से उनकी जन्मभूमि कालड़ी आया हूं. मध्य प्रदेश से आचार्य शंकर का गहरा नाता रहा है. यहां उन्हें गुरु मिले, नर्मदा किनारे कई स्त्रोतों की उन्होंने रचना की और यहीं से उन्होंने विश्व को एकात्मता का संदेश देने के लिए अपनी दिग्विजय यात्रा प्रारंभ की.’
उन्होंने आगे कहा कि एक बार फिर शंकराचार्य जी की ज्ञानभूमि ओंकारेश्वर से एकात्मता का सार्वभौमिक संदेश पूरे विश्व को नई दिशा दे रहा है. यहां का ‘एकात्म धाम’ सनातन संस्कृति और वैदिक स्वर्णिम सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार का वैश्विक केंद्र बन रहा है. दरअसल शिवराज सिंह चौहान का ये आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि पर दौरा ऐसे समय हुआ है, जब ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद की राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में न जाने की बात सुर्खियों में है।