पटना.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) में एक बड़ा बदलाव हुआ है। अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने बोर्ड की कार्यकारिणी, सचिव पद और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह कदम गहन विचार-विमर्श और व्यापक परामर्श के बाद उठाया। उनके इस्तीफे से बोर्ड के अंदरूनी हालात और निर्णय प्रक्रियाओं को लेकर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
मौलाना रहमानी ने अपने पत्र में पिछले दो वर्षों के दौरान बोर्ड के मिशन को समर्थन देने और मुसलमानों के अधिकारों और शरीयत की हिफाजत के लिए किए गए संघर्ष का उल्लेख किया। उन्होंने इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आंतरिक संचार और निर्णय प्रक्रियाओं में कमी, बोर्ड के उद्देश्यों और इमारत ए शरिया के साथ सामंजस्य का अभाव तथा बोर्ड के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ प्रभावी सामंजस्य और विश्वास की कमी है। इन कारणों से वे अपनी जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभाने में असमर्थ महसूस कर रहे थे।
कमाल फारूकी और एम.आर. शमशाद का उल्लेख
मौलाना ने बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जनाब कमाल फारूकी को बिना परामर्श के कार्यकारिणी से हटाए जाने पर गहरा खेद व्यक्त किया। उन्होंने इस प्रक्रिया को अनुचित बताया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जनाब एम.आर. शमशाद के इस्तीफे का भी जिक्र किया, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया।
भविष्य की योजना और संदेश
मौलाना रहमानी ने इस्तीफे के बावजूद मुस्लिम समुदाय के कल्याण और एकता के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि वे अपनी ऊर्जा को मुसलमानों की भलाई और एकता को मजबूत करने में लगाएंगे। वहीं, AIMPLB ने मौलाना के इस्तीफे पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस घटनाक्रम से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बोर्ड की आंतरिक संरचना और निर्णय प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है।
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