जयपुर.
राजस्थान की भाजपा सरकार विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कुछ बड़े फैसले ले सकती है। इनमें सबसे संवेदनशील निर्णय एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर लेना होगा। हालांकि हाईकोर्ट ने एक दिन पहले ही भर्ती परीक्षा को लेकर बड़ा निर्णय दिया है। जिसमें कोर्ट ने इस भर्ती परीक्षा में ट्रेनीज की पॉसिंग आउट परेड और फील्ड पोस्टिंग पर स्टे लगा दिया है।
दूसरा, पिछली सरकार के समय बने नए जिले और तीसरा पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में हुए फैसले। इनके साथ ही प्रदेश में वन स्टेट वन इलेक्शन के मामले में भी तस्वीर साफ होने की उम्मीद की जा रही है। राज्य सरकार ने उपरोक्त तीनों फैसलों के लिए मंत्रियों की कमेटियां गठित की हुई है। ये कमेटियां अपना काम लगभग पूरा भी कर चुकी हैं। एसआई भर्ती परीक्षा को लेकर को कमेटी की रिपोर्ट मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक पहुंच भी चुकी है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इन तीनों ही मामलों पर सरकार का फैसला सामने आ जाएगा। इस बीच सरकार के गठन के एक वर्ष के कार्यक्रम भी शुरू होने हैं और राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट भी होनी है। ऐसे में कुछ फैसले इन दो बडे़ आयोजनों से पहले और कुछ बाद में आ सकते हैं।
एसआई भर्ती परीक्षा
एसआई भर्ती परीक्षा रद्द की जानी या नहीं, इस मामले में विधि मंत्री जोगाराम पटेल की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों की कमेटी का काम पूरा हो चुका है और सूत्रों की मानें तो कमेटी अपनी रिपोर्ट सीएम भजनलाल शर्मा को सौंप भी चुकी है। फैसला सीएम के स्तर पर ही होना है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट पर कैबिनेट की आगामी बैठक में चर्चा हो सकती है और यह फैसला कभी भी सामने आ सकता है। इस मामले में सरकर की दुविधा यही है कि परीक्षा रद्द की जाती है तो चयनित अभ्यर्थी कोर्ट का रूख करेंगे। वहीं रद्द नहीं किए जाने की स्थिति में बड़ी संख्या में युवाओं और सरकार के मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की नाराजगी सामने आ सकती है।
नए जिलों पर फैसला
पिछली सरकार के समय बनाए गए 17 नये जिलों के भविष्य को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों की समिति भी अपना काम लगभग पूरा कर चुकी है। बताया जा रहा है कि पांच छोटे जिलों को फिर से पुराने जिलों में मर्ज किया जा सकता है। इस बारे में सरकार को 31 दिसंबर तक हर हाल में अपना फैसला करना है, क्योंकि इस के बाद जनगणना कार्य के लिए जिलों की सीमाएं सील कर दी जाएंगी। माना जा रहा है कि चूंकि इस फैसले का कुछ विरोध सामने आ सकता है, इसलिए सरकार की पहली वर्षगांठ के आयोजन पूरे होने के बाद इस बारे में फैसला सार्वजनिक किया जा सकता है।
पिछली सरकार के फैसलों को निरस्त करना
पिछली सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में किए गए फैसलों की समीक्षा के लिए चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिह खींवसर की अध्यक्षता में गठित समिति का काम भी लगभग पूरा हो चुका है। समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। समिति ने पिछली सरकार के समय हुए भूमि आवंटनों सहित कई फैसलों को देखा है। सामाजिक संस्थाओं को छोड़ कर भूमि आवंटन से ज्यादातर मामलों पर सरकार की गाज गिर सकती है।
वन स्टेट वन इलेक्शन
निकाय चुनावों से पहले वन स्टेट वन इलेक्शन को लेकर भी राज्य सरकार को फैसला करना है, हालांकि इस फैसले के लिए अभी सरकार के पास कुछ समय रहेगा। प्रदेश की जिन 49 निकायों का कार्यकाल इस माह पूरा हो रहा है उनमें प्रशासक लगना लगभग तय है, क्योंकि अब चुनाव का समय ही नहीं बचा है। वहीं, जनवरी में छह हजार से ज्यादा पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। माना जा रहा है कि इनमें भी सरकार प्रशासक लगा कर इसके बाद इस वन स्टेट वन इलेक्शन पर फैसला कर सकती है।
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