उदयपुर/जयपुर।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को पाने में वर्तमान पीढ़ी का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थ का रास्ता अपनाते हैं, लेकिन सभी के हितों को प्राथमिकता देने से छात्रों की प्रतिभा निखरेगी।
राष्ट्रपति उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि शिक्षा सशक्तीकरण का सबसे अच्छा माध्यम है।उन्होंने कहा, ‘‘हमने वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है। आपकी पीढ़ी के योगदान के बल पर ही यह राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करना संभव होगा। मैं आशा करती हूं कि आप राष्ट्र निर्माण में यथाशक्ति का सर्वाधिक योगदान देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि आप अपने आचरण और कार्यों से अपने परिवार, समाज तथा देश का गौरव बढ़ाएंगे। इसी से आपकी शिक्षा की सार्थकता सिद्ध होती है।’’ बाबा साहेब आंबेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘बाबा साहेब का मानना था कि चरित्र, शिक्षा से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह मानते थे कि ऐसा शिक्षित व्यक्ति जिसमें चरित्र और विनम्रता न हो वह हिंसक जीव से भी ज्यादा खतरनाक होता है। उसकी शिक्षा से यदि गरीबों को हानि हो वह व्यक्ति समाज के लिए अभिशाप हो सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा आप सभी से ये कहना है कि आप जहां भी हों, कोई ऐसा कार्य न करें जिससे आपके चरित्र पर लांछन आये।’’ मुर्मू ने कहा कि आज के बदलते परिवेश में जब विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं ऐसे में विद्यार्थियों की ‘‘विद्यार्थी की भावना’’ को सदैव बनाए रखना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, ‘‘आपको व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और सामाजिक संवेदनशीलता दोनों का समन्वय बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। संवेदना एक प्राकृतिक गुण है।’’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग स्वार्थ का मार्ग पकड़ लेते हैं लेकिन सबके हित को प्राथमिकता देने की विचारधारा आपकी प्रतिभा और अधिक निखारेगी।
Source : Agency