नई दिल्ली
देश के मशहूर उद्योगपति और टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का निधन देर रात बुधवार को हो गया। इस खबर ने पूरे देश को झकझोर कर दिया है। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और अक्सर इलाज के लिए अस्पताल जाया करते थे। 9 अक्टूबर को रात 11:30 बजे दक्षिण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हो गया। उनके निधन से देश में शोक की लहर फैल गई है। जिसके बाद आज उनके पार्थिक शरीर को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) के लॉन में रखा गया। यहां पर लोगों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी।
विविधता में एकता
रतन टाटा की प्रार्थना सभा में विभिन्न धर्मों के पुजारी एक साथ आए। इस समारोह में पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और हिंदू धर्म के पुजारियों ने मिलकर प्रार्थना की। यह दृश्य सच्चे भारत की झलक पेश करता है, जहां सभी धर्मों के लोग एकत्र होकर एक ही उद्देश्य के लिए प्रार्थना कर रहे थे। इस विविधता में एकता का संदेश समाज को जोड़ने का काम करता है। इस प्रकार की एकजुटता हमें यह सिखाती है कि मानवता और सम्मान का धर्म सभी से बड़ा होता है। रतन टाटा ने जीवन भर इस एकता का संदेश फैलाया, और उनकी याद में आयोजित यह प्रार्थना सभा उस मूल्य को दर्शाती है।
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