नई दिल्ली
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब बीते दिन ही नई दिल्ली में कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने नेताओं को फटकार लगाई। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अब जवाबदेही तय की जाएगी और सख्त फैसले लिए जाएंगे। इतना ही नहीं उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर समझौता हो रहा है। कांग्रेस इस मुद्दे पर जल्द ही देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगी।
बैठक में खड़गे ने कहा कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है, और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराना निर्वाचन आयोग का कर्तव्य है। बैठक में नेताओं ने महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के कारणों पर चर्चा की। कई नेताओं ने चुनाव में गड़बड़ियों का आरोप लगाया।
‘हमें कठोर निर्णय लेने होंगे’
पार्टी प्रमुख खड़गे ने कहा कि चुनावी हार के मद्देनजर “कठोर निर्णय” लेने होंगे और जवाबदेही तय करनी होगी. उन्होंने कहा कि नेताओं को चुनाव परिणामों से सबक लेना होगा. हालांकि, उन्होंने माना कि ईवीएम ने चुनावी प्रक्रिया को “संदिग्ध” बना दिया है. कांग्रेस प्रमुख ने यह भी पूछा कि पार्टी के राज्य नेता विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं पर कब तक निर्भर रहेंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस प्रतिरोध का संगठन है और पार्टी नेताओं को इस पर भरोसा रखना चाहिए. करीब साढ़े चार घंटे तक चली मैराथन बैठक में 81 नेताओं ने हिस्सा लिया.
राहुल बोले- एक्शन लीजिए
वहीं राहुल गांधी ने खड़गे से पार्टी के खराब परिणामों के मद्देनजर “सख्ती से काम लेने” का आग्रह किया. पीटीआई के मुताबिक, जब चुनावों को लेकर जवाबदेही तय करने की बात हो रही थी तो राहुल गांधी ने कहा, ‘‘खरगे जी, एक्शन लीजिए.’’
आपसी बयानबाजी से हुआ नुकसान- खड़गे
खड़गे ने कांग्रेस के भीतर कलह पर निशाना साधते हुए कहा, “सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है. जब तक हम एक होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?” उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने प्रतिद्वंद्वियों के “प्रचार और गलत सूचना” का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए एक रणनीति विकसित करनी होगी.
खड़गे ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि हम अनुशासन का सख्ती से पालन करें… पार्टी के पास अनुशासन का हथियार भी है. लेकिन हम अपने कार्यकर्ताओं को किसी बंधन में नहीं डालना चाहते.” महाराष्ट्र चुनाव के बारे में उन्होंने कहा, “छह महीने पहले लोकसभा चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था. लेकिन केवल माहौल पक्ष में होने भर से जीत की गारंटी नहीं मिल जाती/ हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा. क्या कारण है कि हम माहौल का फायदा नहीं उठा पाते?”
उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘‘हमें पर्याप्त मेहनत करने के साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनानी होगी. हमें अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करना होगा। हमें मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात-दिन सजग, सचेत और सावधान रहना होगा। हमारी तैयारी आरंभ से मतगणना तक ऐसी होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और ‘सिस्टम’ मुस्तैदी से काम करें.’
EVM के पक्ष में चिदंबरम
विचार-विमर्श के दौरान, कुछ नेताओं ने ईवीएम के खिलाफ पार्टी प्रमुख के रुख के खिलाफ जाने वालों की आलोचना की और कहा कि इससे नेतृत्व और उठाए गए मुद्दों की छवि खराब होती है. खड़गे द्वारा ईवीएम और चुनाव प्रक्रिया पर संदेह जताए जाने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ईवीएम के पक्ष में बात की.
पार्टी महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पर चिंताओं को लेकर आंदोलन और रैलियां होंगी और इंडिया ब्लॉक के दल इसमें शामिल होंगे.पार्टी महासचिव जयराम रमेश और पवन खेड़ा के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पार्टी महासचिव, संगठन के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने चुनावी प्रदर्शन और संगठनात्मक मामलों पर विचार करने के लिए आंतरिक समितियों का गठन करने का फैसला किया है.
चुनावी परिणामों पर जताई हैरानी
उन्होंने कहा कि हरियाणा के बाद, पैनल के सदस्य महाराष्ट्र का भी दौरा करेंगे और वहां के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात करेंगे और नुकसान का आकलन करेंगे. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बारे में, वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में चुनावी नतीजे “सामान्य समझ से परे हैं और यह लक्षित हेरफेर का एक स्पष्ट मामला प्रतीत होता है.”
सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव में कहा गया है कि हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन सभी अपेक्षाओं के विपरीत रहा है. प्रस्ताव में कहा गया कि “चुनावी गड़बड़ियां हुई हैं, जिन्होंने राज्य में परिणाम को प्रभावित किया है, जिन्हें अनदेखा किया गया है.” सीडब्ल्यूसी ने “स्वीकार किया” कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और उसके महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन का प्रदर्शन हैरान करने वाला रहा है.
कांग्रेस कार्यसमिति ने कहा, “पार्टी को अपने नैरेटिव को मजबूत करते रहना चाहिए. इसमें पूर्ण सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए जाति जनगणना, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और ओबीसी के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना, राजनीतिक संरक्षण के माध्यम से अर्थव्यवस्था में बढ़ते एकाधिकार पर नियंत्रण और निरंतर मूल्य वृद्धि और बढ़ती बेरोजगारी शामिल है.”
राष्ट्रीय आंदोलन की तैयारी
कार्यसमिति ने फैसला किया कि चुनावी प्रक्रिया में हो रही अनियमितताओं को राष्ट्रीय आंदोलन का मुद्दा बनाया जाएगा। कांग्रेस का कहना है कि वह इस मुद्दे पर ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों को भी साथ लेगी।
जवाबदेही और सख्त फैसले
खड़गे ने कहा कि हार से सबक लेते हुए कठोर निर्णय लेने होंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों और नेताओं पर निर्भर रहने के बजाय जमीनी स्तर पर काम करना होगा। अनुशासन और एकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आपसी कलह और बयानबाजी से पार्टी को नुकसान हो रहा है।
राहुल गांधी का आग्रह
राहुल गांधी ने खड़गे से खराब प्रदर्शन के मद्देनजर सख्त कार्रवाई की अपील करते हुए कहा, “खड़गे जी, अब एक्शन लीजिए।”
चिदंबरम का ईवीएम समर्थन
बैठक के दौरान वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ईवीएम के खिलाफ खड़गे के बयान से असहमति जताई और इसका समर्थन किया।
संगठनात्मक सुधार
पार्टी ने संगठनात्मक मामलों और चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए समितियों का गठन करने का फैसला किया। महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि कांग्रेस जल्द ही आंदोलन और रैलियां आयोजित करेगी, जिसमें ‘इंडिया’ ब्लॉक के दल भी शामिल होंगे।
महाराष्ट्र और हरियाणा पर चर्चा
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में खराब प्रदर्शन पर गहरी चिंता जताई गई। नेताओं ने कहा कि महाराष्ट्र में नतीजे सामान्य समझ से परे हैं और संभवतः लक्षित हेरफेर का मामला है।
भविष्य की रणनीति
सीडब्ल्यूसी ने कहा कि पार्टी को जाति जनगणना, आरक्षण सीमा हटाने, आर्थिक एकाधिकार पर रोक और महंगाई व बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर अपना रुख और मजबूत करना होगा। महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 16 सीटें मिलीं, जबकि एमवीए के सहयोगी एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) को क्रमशः 10 और 20 सीटें मिलीं। खड़गे ने राज्यों की विस्तृत समीक्षा का वादा करते हुए सुधारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
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