नई दिल्ली
टी-20 के रोमांच के बीच टेस्ट और वनडे फॉर्मेट को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के पास सिफारिशें पहुंची है। आईसीसी क्रिकेट कमिटी ने इन सुझावों के तहत हर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) श्रृंखला में कम से कम तीन टेस्ट खेलने और वनडे मैच के शुरुआती 25 ओवर में सिर्फ दो नई
डे-नाइट टेस्ट और तीन मैच की सीरीज
हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आईसीसी की क्रिकेट समिति ने हाल ही में दुबई में बोर्ड बैठक में ये सुझाव दिए थे। समिति ने ये भी सुझाव दिया है कि मेजबान देशों को अगले साइकिल में घरेलू सीजन के लिए शेड्यूल बनाते समय ज्यादा से ज्यादा डे-नाइट टेस्ट मैच को शामिल करना होगा। दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और श्रीलंका जैसे कुछ देश ज्यादातर सिर्फ दो टेस्ट मैच की ही सीरीज खेलते हैं। केवल भारत, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ही लंबी टेस्ट सीरीज खेलते हैं। इससे WTC पॉइंट्स वितरण में असमानताएं आ जाती है।
वनडे के 25 ओवर में दो गेंद
एकदिवसीय मैचों के पहले 25 ओवर्स में सिर्फ दो गेंदें ही इस्तेमाल की जाएं इसके बाद एक गेंद का उपयोग हो। बीते दिनों इस बात की चिंता जाहिर की गई थी कि पिछले एक दशक में एकदिवसीय मैचों में दो गेंदों से खेलने से गेंदबाज खेल से बाहर हो गए थे, लेकिन रिवर्स स्विंग और फिंगर स्पिनरों को खेल में वापस लाने के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प दिखता है।
अब 3 साल का कार्यकाल, शाह को सीधा फायदा
अगर सिफारिशों की माने तो ICC चेयरमैन का कार्यकाल दो से बढ़कर तीन साल हो जाएगा। एक बड़े घटनाक्रम में ICC क्रिकेट समिति ने ICC चेयरमैन और स्वतंत्र निदेशक के कार्यकाल को दो-दो साल से बढ़ाकर तीन-तीन साल में बदलने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि बीसीसीआई के निवृतमान सचिव जो 1 दिसंबर से आईसीसी अध्यक्ष का पद संभालने जा रहे हैं, अब तीन-तीन साल के दो कार्यकाल पूरा करते हुए छह साल तक इस पद पर रह सकते हैं। शाह अगले साल बीसीसीआई में अनिवार्य कूलिंग-ऑफ अवधि में जाने वाले हैं।
ICC क्रिकेट समिति में कौन-कौन हैं?आईसीसी क्रिकेट समिति के अध्यक्ष भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली हैं और इसमें पूर्व खिलाड़ी महेला जयवर्धने, वीवीएस लक्ष्मण, शॉन पोलक, डैनियल विटोरी और रोजर हार्पर के अलावा बीसीसीआई सचिव और जल्द ही आईसीसी अध्यक्ष बनने वाले जय शाह भी शामिल हैं। जहां तक डे-नाइट टेस्ट की बात है, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया एकमात्र बोर्ड है जो अपने घरेलू सीजन के दौरान नियमित रूप से गुलाबी गेंद टेस्ट की मेजबानी करता है। बीसीसीआई ने बीते दो साल में एक भी पिंक बॉल टेस्ट मैच की मेजबानी नहीं की है।
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