Sunday, 22 December

भोपाल
 मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार शिवराज सिंह चौहान फिर से चर्चा में हैं। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की राजनीति को छोड़कर केंद्र की राजनीति में एक्टिव हैं। मोदी कैबिनेट में वह कृषि और ग्रामीण पंचायत जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। हालांकि इन सबसे बीच मध्य प्रदेश में एक बार फिर से उन्हें सियासी चेहरा बनाने की तैयारी चल रही है। दरअसल, बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। उपचुनाव के लिए तारीखों की घोषणा हो चुकी है। बुधनी विधानसभा सीट शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद खाली हुई है।

बुधनी विधानसभा सीट से शिवराज सिंह चौहान लगातार पांच बार विधायक रहे हैं। 2006 के बाद यह पहला मौका है जब बुधनी विधानसभा सीट पर विधानसभा के चुनाव हो रहे हों और शिवराज सिंह चौहान उम्मीदवार नहीं हों। ऐसे में बीजेपी इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता को भुनाने के लिए किसी ऐसे उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है जो शिवराज का करीबी माना जाता हो।

बुधनी में तीसरी बार हो रहे हैं उपचुनाव

बुधनी विधानसभा सीट पर तीसरी बार उपचुनाव हो रहे हैं। इससे पहले हुए दो उपचुनावों में बीजेपी की जीत हुई थी। तीनों उपचुनावों में शिवराज सिंह चौहान से कनेक्शन है। बुधनी विधानसभा सीट पर पहली बार 1992 में हुआ था। 1990 में शिवराज सिंह चौहान इस सीट से विधायक बने थे। 1992 में लोकसभा के चुनाव हुए थे। विदिशा सीट से अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। अटल बिहारी वाजपेयी दो सीटों से चुनाव जीते थे बाद में उन्होंने विदिशा की सीट से इस्तीफा दे दिया था। बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को लोकसभा का टिकट दिया था। लोकसभा जीतने के बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था। इस चुनाव में बीजेपी के मोहनलाल शिशिर चुनाव जीते थे।

इसके बाद बुधनी विधानसभा सीट पर 2006 में उपचुनाव हुए थे। तब बीजेपी विधायक ने शिवराज सिंह चौहान के लिए यह सीट खाली की थी। बीजेपी ने उन्हें राज्य का सीएम बनाया था। सीएम बनने के बाद शिवराज इस उपचुनाव में जीते उसके बाद पांच विधानसभा चुनावों में लगातार यहां से चुनाव जीतते रहे। अब एक बार फिर इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया है।

क्या बेटे को मिल सकता है टिकट?

2023 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी विधानसभा सीट पर 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है। अब बीजेपी के सामने चुनौती है कि बीजेपी इस रेकॉर्ड को बरकरार रखे। ऐसे में उनके बेटे कार्तिकेय के भी चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हैं। इस सीट पर उम्मीदवार कोई भी हो प्रतिष्ठा शिवराज सिंह चौहान की ही दांव पर लगी होगी।

ऐसे में बीजेपी शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता को भुनाने के लिए एक नेता को टिकट दे सकती है जिससे जनता के बीच यह मैसेज जाए कि शिवराज सिंह चौहान की टिकट बंटवारे में उपेक्षा नहीं हुई है। शिवराज सिंह चौहान के मैदान में नहीं होने से कांग्रेस भी अपनी सियासी रणनीति को धार देने में जुटी है।

बीजेपी का गढ़ है यह सीट

शिवराज सिंह चौहान के कारण बुधनी विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1998 में जीत मिली थी। तब कांग्रेस के देवेन्द्र पटेल में चुनाव जीता था। उसके बाद से कांग्रेस यहां से चुनाव नहीं जीत पाई है। इस बार कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए विशेष रणनीति बना रही है।

 


Source : Agency

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