Friday, 3 January

भोपाल। मध्यप्रदेश में सीएम और डिप्टी सीएम की शपथ के एक सप्ताह बाद भी मंत्रिमंडल के चेहरे तय नहीं हो पाए हैं। भोपाल से लेकर दिल्ली तक टीम मोहन पर विचार-मंथन चल रहा है। गुरुवार शाम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल से दिल्ली के लिए रवाना हुए। दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह के साथ बैठक होगी। आज सीएम ने दिल्ली में एमपी के सासदों को भोज दिया। इसमें प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ ही दोनों उपमुख्यमंत्री भी शामिल रहे।

जहां तक मंत्रिमंडल की बात है तो इसमें पुराने चेहरों यानी मंत्री रह चुके नेताओं के बजाय नए चेहरों को तवज्जो मिल सकती है। तीन से पांच बार विधायक बनने के बाद भी मंत्री पद से चूके नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है।

सांसद से विधायक बने नेता बनेंगे मंत्री? 

सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव जीतने वाले नेता मप्र सरकार में मंत्री बनाए जा सकते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर पहले ही विधानसभा के अध्यक्ष बनाए जा चुके हैं। अब प्रहलाद पटेल, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक, राकेश सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है।

सागर-भोपाल में फंसा पेंच

बीजेपी लोकसभा चुनाव के हिसाब से मंत्रिमंडल के चेहरे तय करने में जुटी है। इसमें क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को लेकर नामों पर मंथन चल रहा है। बड़े शहरों में चेहरों को लेकर पेंच फंसा हुआ है। जैसे सागर में गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल में मंत्री थे। अब नए चेहरों में शैलेंद्र जैन और प्रदीप लारिया का नाम मंत्री

के लिए आगे किया गया है। इस वजह से भार्गव, भूपेंद्र ताकत लगा रहे हैं। तो गोविंद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया पैरवी कर रहे हैं।

इसी तरह भोपाल में विश्वास सारंग भी शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे। अब सारंग के साथ ही तीन बार के तीन विधायक मंत्री पद के दावेदार हैं। रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर और विष्णु खत्री मंत्री पद के दावेदार हैं।

ये नए चेहरे, जिन्हें अब तक नहीं मिला मौका

• पांचवीं बार नीमच से विधायक बने दिलीप सिंह परिहार को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

• चौथी बार के विधायकों में सागर से शैलेंद्र जैन, प्रदीप लारिया (नरयावली), कुंवर सिंह टेकाम (धौहनी), विजयपाल सिंह (सोहागपुर), रमेश मेंदोला (इंदौर-2), मालिनी गौड़ (इंदौर -4)।

• तीसरी बार के विधायकों में राकेश शुक्ला (मेहगांव), देवेंद्र जैन (शिवपुरी), अनिल जैन (निवाड़ी), उमा खटीक (हटा), दिव्यराज सिंह (सिरमौर), शिवनारायण सिंह (बांधवगढ़), संदीप जायसवाल (मुडवारा), अशोक रोहाणी (जबलपुर कैंट), सुशील तिवारी (पनागर), दिनेश राय (सिवनी), महेंद्र सिंह चौहान (भैंसदेही), प्रेमशंकर वर्मा (सिवनी मालवा), ठाकुरदास नागवंशी (पिपरिया), विष्णु खत्री (बैरसिया), कृष्णा गौर (गोविंदपुरा), रामेश्वर शर्मा (हुजूर), सुदेश राय (सीहोर), गायत्री राजे पवार (देवास), आशीष शर्मा (खातेगांव), नारायण पटेल (मांधाता), नीना वर्मा (धार), मनोज पटेल (देपालपुर), चेतन्य कश्यप (रतलाम सिटी)। ये सभी विधायक ऐसे हैं जो एक बार भी मंत्री नहीं बन पाए हैं।

ये सबसे वरिष्ठ विधायक बन चुके मंत्री नौवीं बार रहली से विधायक बने गोपाल भार्गव 2003 से लगातार मप्र सरकार में मंत्री हैं। इछावर से आठवीं बार चुनाव जीते करण सिंह वर्मा तीन बार राज्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि हरसूद से आठवीं बार विधायक चुने गए विजय शाह तीन बार मंत्री रह चुके हैं। मल्हारगढ़ से आठवीं बार विधायक चुने गए जगदीश देवड़ा उप मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं। सातवीं बार के विधायक अंचल सोनकर भी राज्यमंत्री रह चुके हैं। चौथीं बार के विधायकों में दिलीप सिंह परिहार को छोड़कर सभी विधायक पहले मंत्री बनाए जा चुके हैं।

चौथी बार चुनाव जीतने वाले विधायकों में नारायण सिंह कुशवाह, बृजेंद्र सिंह यादव, गोविंद सिंह राजपूत, सुरेंद्र पटवा, विश्वास सारंग, अर्चना चिटनीस, महेंद्र हार्डिया, हरदीप सिंह डंग मंत्री रह चुके हैं।

पहली बार के बीजेपी विधायक

सरला रावत (सबलगढ़), अमरीश शर्मा (लहार), मोहन सिंह राठौर (भितरवार), प्रीतम लोधी (पिछोर), महेंद्र सिंह यादव (कोलारस), प्रियंका मीणा (चाचौड़ा), कामाख्या प्रताप सिंह (महाराजपुर), दिलीप अहिरवार (चंदला), अरविंद पटेरिया (राजनगर), श्रीकांत चतुर्वेदी (मैहर), सिद्धार्थ तिवारी (त्योंथर), नरेंद्र प्रजापति (मनगवां), रीति पाठक (सीधी), राधा सिंह (चितरंगी), रामनिवास शाह (सिंगरौली), धीरेंद्र सिंह (बड़वारा), प्रतिमा बागरी (रैगांव), नीरज ठाकुर (बरगी), अभिलाष पांडे (जबलपुर उत्तर), राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम), संतोष बरकड़े (सिहोरा), संपतिया उईके (मंडला), राजकुमार कर्राहे (लांजी), गौरव पारधी (कटंगी), महेंद्र नागेश (गोटेगांव), विश्वनाथ सिंह (तेंदूखेड़ा), प्रहलाद सिंह पटेल (नरसिंहपुर), राव उदय प्रताप सिंह (गाडरवारा), नरेंद्र शिवाजी पटेल (उदयपुरा), मुकेश टंडन (विदिशा), भगवानदास सबनानी (भोपाल दक्षिण-पश्चिम), इंजीनियर गोपाल सिंह (आष्टा), मधु गेहलोत (आगर), घनश्याम चंद्रवंशी (कालापीपल), गंगाबाई उईके (घोड़ाडोंगरी), मुरली भंवरा (बागली), कंचन तन्वे (खंडवा), छाया मोरे (पंधाना), श्याम बर्डे (पानसेमल), राकेश गोलू शुक्ला (इंदौर-3), मधु वर्मा (राऊ), तेजबहादुर सिंह चौहान (नागदा-खाचरोद), अनिल जैन कालूहेडा (उज्जैन उत्तर), जितेंद्र पंड्या (बड़नगर), डॉ. चिंतामणि मालवीय (आलोट)।

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