Friday, 3 January

Bhopal। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तीन केन्द्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को प्रत्याशी बनाया है। बडे़ नेताओं को चुनाव लड़ाने पर कांग्रेस के नेता बीजेपी पर हमलावर हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि खुद को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली बीजेपी को चुनाव लड़ाने के लिए प्रत्याशी नहीं मिल रहे, इसलिए केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव में उतारना पड़ा है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल खुल कर बात करते हैं।  

केन्द्र की राजनीति से अचानक विधानसभा का प्रत्याशी बना देना, कैसा अनुभव कर रहे हैं?

पटेल- मैं तो गौरवान्वित महसूस करता हूं। पार्टी ने भूमिका दी। उसके साथ में सदैव तैयार होना, ये भाजपा के कार्यकर्ता की रीति-नीति और चरित्र रहा है। मैं तो घूम-घूम कर लड़ा हूं। सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह। लंबे समय के बाद मुझे गृह जिले में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। मैं गौरवान्वित इस बात से भी हूं कि मेरे अनुज जालम सिंह पटेल वहां से विधायक हैं। वह चार चुनाव लड़ चुके हैं। वे जिद करके मुझे इस सीट पर लेकर आए हैं। हम राजनीतिक रूप से देखते हैं। लोगों के स्वार्थ, बाप बेटे टिकट के लिए लड़ते हैं। ऐसे में नैतिक मूल्यों के प्रति उन्होंने जो अपना स्थान और मुकाम हासिल किया, उसके लिए भी मैं उनसे खुश हूं, उनको साधुवाद देता हूं।

 जालम सिंह की तपस्या में कमी थी, उन्होंने आपका नाम प्रपोज किया था?

पटेल- 100 फीसदी उन्होंने ही नाम प्रपोज किया। उन्हें वहां से लड़ना ही था, लेकिन उनका कहना था कि अगर आप चुनाव लड़ेंगे, तो मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा। दोनों भाइयों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। 

प्रह्लाद पटेल ने कहा-मैं पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ूंगा. केंद्रीय और राज्य नेतृत्व का आभार कि बत्तीस साल के राजनैतिक जीवन में मैं पहली बार अपनी जन्मभूमि से विेधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहा हूं. उन्होंने कहा ये कहना गलत है कि मेरे भाई की टिकट कट गई. ये जो धारणा फैलाई जा रही है, उन लोगों को राजनैतिक मूल्यों के बारे में विचार करना चाहिये. ये कहना मेरे अनुज जालम सिंह पटेल का अपमान है. मेरे पारिवारिक संस्कारों का भी अपमान है. राजनीति में जो गिरावट आई है. पिता पुत्र और माँ बेटे टिकट के लिये झगड़ा कर लेते हैं. लेकिन हमारे यहां उल्टा हुआ. उनका टिकट तय होने के बावजूद भाई ने ज़िद कर मुझे नरसिंहपुर लड़ाने का फ़ैसला किया है. इस बात के लिये मेरे भाई जालम सिंह का अभिनंदन होना चाहिए।

कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी की ये स्थिति हो गई कि बड़े नेताओं को चुनाव लड़ना पड़ रहा है। कार्यकर्ता नहीं मिल रहे?

पटेल- जब भारतीय जनता पार्टी की पहली लिस्ट निकली, तो कांग्रेस ने मौन साध लिया। सदमे में आ गई कि इतने पहले लिस्ट कैसे निकाल दी? दूसरी लिस्ट निकली, तो कांग्रेस बौखलाहट में आ गई। भाषा का स्तर इतना गिरा दिया कि कांग्रेस को उसके बाद खोने के लिए कुछ नहीं है। उनके पास अगर नेता हैं, तो वह सूची जारी कर दें। किसने रोका है, लेकिन उनके पास 2003 के पहले का वही थका- थकाया नेतृत्व है। वही कालिख पुता हुआ नेतृत्व है, इसलिए मुझे लगता है कि वह तो भौचक्के हैं कि यह हो क्या रहा है।

मैं मानता हूं कि राजनीति में कोई भूगोल से दुनिया नहीं चलती कि आप लोकसभा में हैं, तो विधानसभा में नहीं आ सकते। विधानसभा वाला लोकसभा नहीं जा सकता। यह जो धारणा है, यह आखिर किस बात का कंफ्यूजन है। मुझे लगता है कि फिर कमलनाथ को अपने बारे में सोचना चाहिए या दिग्विजय सिंह सोचें। मुझे लगता है कि यह उलट बातें हैं। उनके पास ना तो नेता हैं ना नीति है। भाजपा की नकल करने के अलावा दूसरा रास्ता कांग्रेस के पास नहीं है।

जातिगत जनगणना को कांग्रेस बड़ा मुद्दा बना रही है। बिहार सरकार ने आंकडे़ जारी कर दिए हैं। BJP का क्या स्टैंड है?

पटेल- मैं मानता हूं कि मोदी सरकार सफलतम कार्यक्रम रहे हैं, कांग्रेस के पास रचनात्मक जवाब देने का सामर्थ्य नहीं है। हमने दुनिया के अनुमान को 11 साल पहले झुठलाकर उस लक्ष्य को प्राप्त किया। तब से लेकर आज तक जो चीज होती है, वह चीजें मोदी जी प्रधानमंत्री के तौर पर हर वर्ष एक नया टास्क देश को देते हैं। लोग उसे पूरा करते हैं। स्वच्छता है, नशा मुक्ति है, खादी के प्रति आपकी निष्ठा प्रतिबद्धता है। यह सारी चीजें करते हैं। कांग्रेस ने कभी गांधी के नाम के अलावा इन तीनों क्षेत्रों में कुछ किया हो तो वह बताएं।

दूसरा पिछड़ों की बात करते हैं। पिछड़ा वर्ग कमीशन काे संवैधानिक मान्यता देने का काम मोदी सरकार ने किया। भारतीय जनता पार्टी ऐसी पार्टी है, जिसने एक पिछड़े वर्ग के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया। मुझे लगता है कि जितनी भी योजनाएं हैं, उन सब में आपने 75 साल में क्या किया? मैं मंडल कमीशन के समय संसद में था। उस समय आप क्या कर रहे थे। उसके बाद भी आप सरकारों में रहे। तब आप क्या कर रहे थे। यह भटकाने और बांटने की कोशिश है।

कांग्रेस धर्म के नाम पर बांटती रही है। डरा कर वोट लेती रही है। हरिजन आदिवासियों से कहते थे कि अगर वे आ जाएंगे, तो आपका आरक्षण खत्म हो जाएगा। आरक्षण क्या खत्म हो गया, बल्कि जितने सुविधाजनक तरीके से गरीब कल्याण की योजनाएं मोदी जी के नेतृत्व में जमीन पर उतरकर आई है। मैं जल जीवन मिशन का मंत्री हूं। कोई प्रधानमंत्री यह हिम्मत नहीं जुटा पाया कि हर परिवार को हम पानी दे सकते हैं। इन मुद्दों से भटकाने के लिए यह विपक्ष की कोशिश है, जो असफल साबित हो गई है।

उमा भारती ने कहा कि जो महिला बिल आया, उसमें ओबीसी वर्ग की महिलाओं को आरक्षण होना चाहिए?

पटेल- मुझे लगता है कि इसका जवाब वही दे पाएंगी। यह मैं मानता हूं कि संसद के भीतर अभी तक पिछड़ों को आरक्षण नहीं है। ना विधानसभा में, ना लोकसभा में। सिर्फ नौकरी में आरक्षण है। जो आरक्षण का सेटअप है, वह एससी-एसटी और सामान्य वर्ग में है। जब तक पिछड़ों को विधानमंडल में या लोकसभा में आरक्षण नहीं होगा। मुझे लगता है कि ऐसी कल्पना या बातें करना उचित नहीं होगा।

 आपके समर्थक और बुंदेलखंड के लोग आपको भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं। इसे आप कैसे देखते हैं?

पटेल- मुझे लगता है कि अटकलें अलग बात होती हैं। यथार्थ अलग होता है। पार्टी के काम करने के तरीके अलग होते हैं। यह पार्टी को ही फैसला करना चाहिए। ऐसे परसेप्शन में फंसना ही नहीं चाहिए।

 कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी ने शिवराज सिंह का नाम पीछे करके, तीन-चार मुख्यमंत्री के चेहरे सामने लाकर उन्हें प्रत्याशी बना दिया?

पटेल- इसका जवाब मुझे नहीं देना चाहिए। जो कांग्रेस शिवराज जी के खिलाफ बोलती थी। आज उनके प्रति बड़ी सिम्पैथी बता रही है। कांग्रेस का स्टैंड क्या है? यही कांग्रेस की मनोदशा है कि उसके पास नीति ही नहीं है। वह आखिर किस रास्ते पर जाए। हम लोगों को छुटभैया नेता कहते थे। आजकल बड़े नेता हो गए। ये उसका दूसरा तरीका है। इसका मतलब यह है कि कांग्रेस से ज्यादा कंफ्यूज कोई नहीं है। उसको समझ नहीं आ रहा कि वह करेगी क्या?

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