इंदौर।
इंदौर से महाकाल मंदिर तक 47 किलोमीटर हिस्से में मेट्रो चलाने के लिए कवायद शुरू हो गई। इंदौर-उज्जैन के हाइब्रिड मोड पर मेट्रो का संचालन किया जाएगा। इस पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च का आकलन किया गया है। इसका लाभ इंदौर व उज्जैन वासियों को सिंहस्थ के बाद ही मिल पाएगा।
लवकुश चौराहे से महाकाल मंदिर तक मौजूदा फोर लेन सड़क के डिवाइडर पर पिलर खड़े कर वायडक्ट के माध्यम से मेट्रो का मार्ग तैयार किया जाएगा। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) द्वारा सर्वे की प्रक्रिया पूर्ण कर रुट अलायमेंट तय कर लिया है। अब जल्द ही डीएमआरसी की टीम मप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन के अफसरों के सामने इसका प्रेजेंटेशन देगी। इसके बाद इंदौर-उज्जैन आरआरटीएस की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। इंदौर शहर में निर्माणाधीन मेट्रो रूट पर मेट्रो मेट्रो 80 से 85 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलेगी। दो शहरों के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) में 135 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से मेट्रो चलती है। इंदौर व उज्जैन के बीच हाइब्रिड मोड में मेट्रो का संचालन किया जाएगा। यह 135 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलेगी। वर्तमान में दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में इस तरह हाइब्रिड मोड में मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। पूर्व में सिंहस्थ के पहले इंदौर से उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने की योजना बनाई जा रही थी लेकिन 10 हजार करोड़ रुपये का बजट जुटाना राज्य शासन के लिए आसान नहीं होगा। यही वजह है कि यह प्रोजेक्ट सिंहस्थ के पहले पूरा नहीं हो पाएगा। ऐसे में 2028 में उज्जैन में होने वाले महाकुंभ में इंदौर से जाने वालों को सिक्स लेन का सड़क मार्ग व रेलवे स्टेशन से अन्य ट्रेनों के अलावा वंदे मेट्रो ट्रेन का विकल्प रहेगा। रेल मंत्रालय द्वारा इंदौर से उज्जैन के बीच वंदे मेट्रो ट्रेन चलाने पर सहमति दी गई है।
तालाब तक मेट्रो ले जाने की कोशिश
जानकारों के मुताबिक पूर्व में उज्जैन की सघन बसाहट के कारण उज्जैन शहर के हिस्से में अंडरग्राउंड मेट्रो के विकल्प पर विचार किया जा रहा था। अब महाकाल महालोक के पास बने तालाब के पास पार्किंग वाले हिस्से तक ओवरहेड मेट्रो ले जाने की योजना है।
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