Tuesday, 5 November

इंदौर
धार जिले के मांडव में खुरासानी इमली के दुर्लभ पेड़ों की तस्करी रोकने और ट्रांसलोकेट किए जाने की चुनौती के बीच अब वन विभाग ने हर पेड़-पौधे को रिकॉर्ड पर लेकर संरक्षित करने का फैसला किया है. हाल ही में मध्यप्रदेश के सभी वन मंडल के डीएफओ को निर्देश दिए गए हैं, जिन्होंने अपने जिलों में पाए जाने वाले इस पेड़ की जानकारी संकलित करके विभाग को सौंपी है.

मांडव में खुरासानी इमली के पेड़ों की तस्करी के प्रयास

गौरतलब है मई 2023 में धार जिले के मांडव में चोरी छुपे खुरासानी इमली के कई पेड़ों को हैदराबाद स्थित ग्रीन किंगडम प्राइवेट कंपनी अपने बोटैनिकल गार्डन में शिफ्ट करने के लिए ले जा रही थी. इस मामले को ईटीवी भारत द्वारा एक्सपोज किया गया था. इसके बाद पता चला कि धार जिले के वन विभाग के अधिकारियों ने 8 पेड़ों को काटने की अनुमति गुप्त रूप से दी थी. हालांकि ये कंपनी 14 पेड़ काटकर हैदराबाद में शिफ्ट कर चुकी थी. इस मामले के चर्चा में आने के बाद जिला प्रशासन ने तत्काल पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के आदेश दिए. इस मामले से जुड़ा एक अन्य प्रकरण अभी कोर्ट में विचाराधीन है.

पूरे प्रदेश में खुरासानी इमली के पेड़ों का रिकॉर्ड होगा मेंटेन

राज्य सरकार अब खुरासानी के पौधे-पेड़ों का रिकॉर्ड संरक्षित कर जानकारी मंगा रही है. हाल ही में मध्य प्रदेश बायोडायवर्सिटी बोर्ड द्वारा प्रत्येक जिले के वन मंडलों को निर्देश दिया गया है कि पूरे प्रदेश में इस पौधे की प्रजाति कहां-कहां है और कितनी संख्या में है, इसकी जानकारी एकत्र की जाए. इंदौर डीएफओ महेंद्र सोलंकी ने बताया “वन मुख्यालय से मंगाई गई जानकारी के अनुसार इंदौर जिले में करीब 33 खुरासानी इमली के पेड़ों का रिकॉर्ड तैयार किया गया है, जिसे मुख्यालय भेजा गया है. इंदौर जिले के अलावा महू एवं कुछ अन्य स्थानों पर जितने भी पौधे हैं, सभी संरक्षित हैं जिनका चिह्नांकन किया गया है, जिससे कि इस दुर्लभ प्रजाति को सहेज कर रखा जा सके.”

खुरासानी इमली के पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध

बता दें कि जैव विविधता वाले इस वृक्ष को काटने के लिए राज्य सरकार ने भी प्रतिबंध लगा रखा है. राजस्व विभाग ने 14 में 2024 की अधिसूचना में स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय जैव विविधता अधिनियम 2022 के तहत अधिसूचित वृक्षों को काटे जाने गिराए जाने या अन्य क्षति पहुंच जाने के लिए कोई अनुज्ञा या अनुमति नहीं दी जाएगी. अफ्रीकन बाओबाब कहे जाने वाले ये पेड़ अफ्रीका और अरब मूल के हैं, जिनका पृथ्वी पर करीब 2000 पुराना इतिहास है. देश में यही इकलौता पेड़ है, जिसमें रेडियो कार्बन डेटिंग के गुण हैं.

री-डिहाइड्रेशन इस दुर्लभ पेड़ की बड़ी विशेषता

इसके अलावा इस दुलर्भ पेड़ में री-डिहाइड्रेशन अचूक गुण है. बताया जाता है कि 14वीं शताब्दी में महमूद खिलजी के शासनकाल के दौरान अफ्रीका से ईरान होते हुए जो अरब से मजदूर यहां आए थे. वह इस फल को प्यास से बचने के लिए अपने साथ रखते थे. उस वक्त धार जिले का मांडव भी मुगलकालीन गतिविधियों का केंद्र रहा, जहां इस फल के बीज गिरने से ये पौधे विकसित हुए, जो आज भी मांडव में मौजूद हैं. माना जाता है कि इस एक पेड़ की उम्र 5000 वर्ष से भी अधिक हो सकती है, जो अपने जीवन काल में 120000 लीटर तक पानी का संग्रह कर सकता है. 


Source : Agency

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