पटना
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को यहां 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन किया। बिहार में तीसरी बार आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय सम्मेलन का विषय है- ‘‘संविधान की 75वीं वर्षगांठ: संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान।” सम्मेलन के दौरान प्रतिभागी ‘‘अधिक दक्षता, प्रभावशीलता और उत्पादकता के लिए हमारे विधायी निकायों में आधुनिक तकनीक को अपनाने” पर विचार-विमर्श करेंगे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने कहा, ‘‘यह तीसरी बार है जब बिहार लगभग 43 वर्षों के अंतराल के बाद इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। बिहार की धरती भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और बौद्धिक विरासत का केंद्र मानी जाती है। इस धरती ने भगवान बुद्ध की करुणा, महावीर की अहिंसा और गुरु गोविंद सिंह जी के साहस को जन्म दिया है।” उन्होंने कहा कि यह वही धरती है जहां से चाणक्य ने सैद्धांतिक राजनीति की शुरुआत की और सम्राट अशोक ने शासन में नैतिकता का संदेश दिया।
यादव ने कहा कि यह चंपारण की धरती है जिसने गांधी जी को महात्मा बनाया। उन्होंने कहा, ‘‘यह सम्मेलन लोकतंत्र को मजबूत करने तथा जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जा रहा है।” समापन सत्र को मंगलवार को बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला संबोधित करेंगे। इस अवसर पर उपस्थित अन्य प्रतिभागियों में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, राज्य मंत्री श्रवण कुमार आदि शामिल थे। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आज शामिल नहीं हो पाए। कार्यक्रम के अनुसार उन्हें आज इस सम्मेलन में शामिल होना था।
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