सहरसा.
सहरसा जिले के सोनबरसा राज थानाक्षेत्र के फतेहपुर पडरिया निवासी आईपीएस हर्षवर्धन सिंह को मंगलवार को पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को देख गांव और परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिनमें पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम विदाई
कोसी प्रक्षेत्र के डीआईजी मनोज कुमार, सहरसा एसपी हिमांशु, सिमरी बख्तियारपुर के एसडीपीओ मुकेश कुमार ठाकुर और सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी। सहरसा पुलिस ने हर्षवर्धन सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया। परिजनों और स्थानीय लोगों ने हर्षवर्धन के अंतिम दर्शन किए। पूरे क्षेत्र में शोक का माहौल था और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।
प्रथम नियुक्ति से पहले हादसे में मौत
हर्षवर्धन सिंह ने मैसूर स्थित कर्नाटक पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण पूरा किया था। वह अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के पद पर अपनी पहली नियुक्ति के लिए जा रहे थे। रविवार की शाम जब वह चारपहिया वाहन से हासन जा रहे थे, जहां से लगभग दस किलोमीटर पहले उनकी गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया। दुर्घटना इतनी भीषण थी कि घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
गांव में गम और शोक का माहौल
हर्षवर्धन का शव हवाई मार्ग से कर्नाटक से पटना लाया गया और वहां से सड़क मार्ग से उनके पैतृक गांव फतेहपुर लाया गया। खगड़िया और सहरसा सीमा पर लोगों ने पार्थिव शरीर का स्वागत किया और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। हर्षवर्धन सिंह की मौत से प्रशासनिक और पुलिस महकमे में भी शोक की लहर है। स्थानीय लोगों ने उन्हें एक होनहार अधिकारी के रूप में याद किया, जो पहली ही पोस्टिंग से पहले देश की सेवा का सपना लिए चल बसे। अधिकारियों ने इस घटना को पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी क्षति बताया। परिवार और क्षेत्र के लोगों ने हर्षवर्धन की असमय मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
परिजनों ने उठाए सवाल, सरकार से जांच की मांग
कर्नाटक कैडर के युवा आईपीएस अधिकारी हर्ष वर्धन सिंह की सड़क दुर्घटना में असामयिक मौत ने उनके परिवार और गांव में शोक की लहर फैला दी है। परिजन और ग्रामीण इस हादसे को लेकर सवाल उठा रहे हैं और सरकार से दुर्घटना की विस्तृत जांच की मांग कर रहे हैं। हर्ष वर्धन के चाचा भूषण सिंह ने गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि हर्ष वर्धन हमारे घर का चिराग था, जो बुझ गया। उसकी मौत कैसे हुई, इसकी जांच होनी चाहिए। यह घटना संदेहास्पद लगती है। सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्घटना के पीछे टायर फटने या गाड़ी में पुराना टायर लगाए जाने की आशंका जताई जा रही है। भूषण सिंह ने कहा कि ड्राइवर की लापरवाही भी एक कारण हो सकती है।
दुर्गा पूजा में गांव आए थे हर्ष वर्धन
परिजनों के मुताबिक, हर्ष वर्धन दुर्गा पूजा से पहले गांव आए थे और दो दिन रुकने के बाद अपने ननिहाल मधेपुरा चले गए थे। उनकी असामयिक मौत से पूरा परिवार सदमे में है। वहीं, गांव के लोगों ने हर्ष वर्धन को अनमोल रत्न करार देते हुए कहा कि उनकी मौत न केवल गांव बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। ग्रामीणों ने बताया कि वे बेहद सरल स्वभाव के थे और हमेशा गांव के लोगों की मदद करते थे।
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