Tuesday, 17 September

महाराष्ट्र के भौगोलिक स्थिति

महाराष्ट्र के उत्तर में गुजरात, पूर्वोत्तर में मध्य प्रदेश, दक्षिण में कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश तथा पश्चिम में अरब सागर है, जिसकी राज्य के साथ 720 किमी. की तटरेखा है। अरब सागर का तटीय मैदानी भाग कोंकण कहलाता है। यह करीब 720 किमी. लम्बा और 80 किमी. चौड़ा है। तटीय मैदान में धान के खेत और नारियल के बाग हैं । समुद्र तट के समानांतर सह्याद्रि या पश्चिमी घाट की श्रृंखला कोंकण के पूर्व में हैं। सह्याद्रि के पूर्व में पठारी भाग है। यहां बहने वाली प्रमुख नदियां गोदावरी, भीमा और कृष्णा हैं। ये नदियां बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

महाराष्ट्र की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

महाराष्ट्र प्रदेश के प्रथम शासक सातवाहन थे। जिन्होंने ईसा पूर्व 230 से 225 ई. तक इस क्षेत्र पर शासन किया। इन्हें महाराष्ट्र का संस्थापक माना गया है। इनके बाद वाकाटक, कलचुरी और चालुक्य वंश ने सत्ता संभाली। यहां राष्ट्रकूट एवं यादवों का नियंत्रण भी रहा। यादवों ने ही यहां मराठी को राजभाषा बनाया एवं दक्षिण क्षेत्र पर आधिपत्य स्थापित कर लिया महाराष्ट्र को शिवाजी ने एक अलग पहचान दी। उन्होंने स्वराज एवं राष्ट्रीयता की एक नई भावना जागृत की।

देश के स्वतंत्रता संग्राम में महाराष्ट्र की अग्रणी भूमिका रही। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान सेवाग्राम देश का महत्त्वपूर्ण केन्द्र रहा। महाराष्ट्र 1 मई, 1960 को अस्तित्व में आया। इसका निर्माण आसपास के मराठी भाषी क्षेत्र के समावेश से हुआ।

महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था

राज्य की 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आश्रित है । यहां धान, ज्वार, बाजरा, गेहूं, तिलहन, दलहन, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, प्रमुख फसलें हैं। कपास, गन्ना, हल्दी की पैदावार भी की जाती है। प्रदेश में बड़े स्तर पर बागवानी भी होती है। राज्य में कुल कृषि क्षेत्र के लगभग 10.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फलों का उत्पादन होता है। यहां मुख्यतः पश्चिमी मानसून से वर्षा होती है। राज्य के तटीय भागों में भारी व पूर्वी भागों में मध्यम वर्षा होती है।

महाराष्ट्र के त्योहार

गणेश चतुर्थी यहां का मुख्य त्योहार है। यहां पर होली, दिवाली, ईद, गंगा दशहरा, नाग पंचमी, शिवाजी महाराज जयंती आदि त्योहार मनाए जाते है। महाराष्ट्र के पर्यटन विभाग द्वारा यहां पर बाणगंगा, कालिदास, एलोरा और एलिफेण्ट उत्सवों का आयोजन किया जाता है । इन उत्सवों का मुख्य आकर्षण शास्त्रीय संगीत और नृत्य है।

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महाराष्ट्र के पर्यटन स्थल

औरंगाबाद

प्राकृतिक दृष्टि से औरंगाबाद अत्यंत खूबसूरत शहर है। यह चारों ओर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसमें 52 दरवाजे लगे हुए हैं। इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। मलिक अंबर ने इसे 1610 में बसाया था। जब 1634 में औरंगजेब को दक्षिण का सूबेदार बनाया गया तो उसने इसका नाम औरंगाबाद रख दिया।

बीबी का मकबरा– इस मकबरे में आगरा के ताजमहल की नकल की गई है। इसे वैभवशाली ताज का गरीब भाई कल सकते हैं। औरंगजेब की चौथी बेगम रबिया दुर्रानी की याद में शहजादा आजमशाह ने 1650 में इस विशाल मकबरे का निर्माण करवाया। इसे दक्षिण का ताजमहल भी कहते हैं। 

दुर्गम गुफाएं– यहां बौद्ध प्रभाव की 12 गुफाएं हैं लोनावाला की काली गुफाओं की तरह यहां का मार्ग भी दुर्गम पहाड़ी का है। ये गुफाएं बीबी के मकबरे के एकदम पीछे हैं।

दौलताबाद– पहले इसका नाम देवगिरि था। 220 मीटर ऊंचे इस किले के चारों ओर गहरी खंदक है।14वीं शताब्दी में मुहम्मद तुगलक इसे देखकर काफी प्रभावित हुआ और इसे शाही राजधानी बनाने का फरमान जारी कर दिया लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाया। इसके अलावा यहां पनचक्की, विश्वविद्यालय संग्रहालय आदि दर्शनीय स्थल है।

खंडाला, लोनावाला– खंडाला, लोनावाला मोर घाट पर स्थित दो रमणीक पर्वतीय विश्राम स्थल हैं। लोनावाला की तुलना में खंडाला शांत व छोटा है, किंतु नैसर्गिक सौंदर्य के लिए अत्यंत समृद्ध है। वर्षा ऋतु में पहाड़ों से बहते हुए झरने इन पर्वतीय स्थलों की सुंदरता में दोगुनी वृद्धि कर देते हैं। यहां की जलवायु स्वास्थ्यवर्धक भी है मुम्बई के नजदीक होने के कारण बॉलीवुड की फिल्मों में कई बार खंडाला की सैर कराई जाती है।

लोनावाला झील– यह एक खूबसूरत पिकनिक झील है। झील के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को खूब लुभाता है।

कारला गुफाएं– इन गुफाओं की दीवारों पर 150 ईसा पूर्व के भित्ति चित्र और मूर्तियां शिल्पकला के आकर्षक नमूने हैं।

बेडसा की गुफाएं– ये गुफाएं पहली शताब्दी के आसपास की हैं। वर्षा ऋतु में प्राकृतिक झरनों का आनन्द लेने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।

भाजा की गुफाएं-इन गुफाओं की संख्या 18 है दक्षिण की ओर निर्मित 14 स्तूपों का अनुपम समूह है। इनमें 5 स्तूप अंदर तथा 9 बाहर की ओर बने हुए हैं।

मुम्बई

मुम्बई नगर का निर्माण सात द्वीपों को जोड़कर किया गया। लघु भारत के रूप में मशहूर मुम्बई में मराठी, गुजराती, पारसी, सिंधी और दक्षिण भारतीयों की संस्कृति अलग-अलग है इसलिए यहां के जनजीवन में विविधता है।

गेट वे ऑफ इण्डिया– यह भारत का गौरव एवं पश्चिमी प्रवेश द्वार है। यह ताजमहल होटल के सामने हैं। इसका निर्माण इंग्लैण्ड के शासक जॉर्ज पंचम तथा उनकी महारानी विक्टोरिया के 1911 में भारत आगमन की स्मृति में किया गया था। इस स्तम्भ में आठ खुले दरवाजे हैं। इसके सामने छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा स्थापित की गई है। शाम के समय यहां बड़ी संख्या में पर्यटक जमा होते हैं।

नरीमन पॉइंट-चर्चगेट स्टेशन के पास ही मुम्बई का यह व्यापारिक केंद्र है। यह एयर इंडिया, मफतलाल, बजाज भवन, मित्तल टावर, विधानसभा भवन जैसी अनेक विशाल एवं ऊंची-ऊंची इमारतों से घिरा है प्रिंस ऑफ वेल्स।

म्यूजियम– कला खण्ड, शिल्पकला खण्ड व प्राकृतिक इतिहास खण्ड में बंटा हुआ है। जहांगीर आर्ट गैलेरी इसका निर्माण 1952 में कावसजी जहांगीर की स्मृति में किया गया था। यहां प्रसिद्ध कलाकारों की कृतियों का प्रदर्शन होता रहता है। चौपाटी-चौपाटी पर लोकमान्य तिलक तथा विट्ठल भाई पटेल की मूर्तिया स्थापित हैं। यहां लोग अक्सर सैर करने आते हैं। समुद्र के किनारे मुम्बई की चौपाटी जनसामान्य की सैरगाह के रूप में मशहूर है।

माथेरान

यह पहाड़ी स्थल पुणे तथा मुम्बई के मध्य स्थित है। माथेरान घने वृक्षों एवं जंगलों से आच्छादित है। माथेरान में अनेक पाइंट हैं, जहां से आसपास के प्राकृतिक नजारों को देखा जा सकता है। हार्ट पॉइंट से रात को चमकती मुम्बई को देखा जा सकता है।

मास्टर पार्क– इस पार्क में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। बच्चों के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी है। 

चारलोटी झील-पिकनिक के लिए यह सर्वोत्तम है। यहां से माथेरान को पानी की सप्लाई होती है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है।

रामबाग– यहां के विशेष आकर्षण का केंद्र घने जंगल के बीच बनी सीढ़ियां हैं। कहते हैं कि शिवाजी अपने साहसिक अभियानों के दौरान इन सीढ़ियों का उपयोग किया करते थे। 

ओलम्पिया मैदान– यह स्थान घुडदौड़ के लिए लोकप्रिय है। यहां कई खेलों की प्रतिस्पर्धाएं होती रहती हैं।

अन्य

इसके अलावा अन्य दर्शनीय स्थलों में हुतात्मा चौक, हैंगिंग गार्डन, कमला नेहरू उद्यान, नेहरू प्लेनेटोरियम, रानी बाग, बान्द्रा, जुहू चौपाटी, फेटेसी लैण्ड, एस्सेल वर्ड, पवई लेक, महालक्ष्मी रेसकोर्स एलीफेंटा गुफाएं, संजय गांधी नेशनल पार्क, कन्हेरी गुफाएं आदि मुख्य हैं।

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