Wednesday, 13 November

चन्नापटना
कर्नाटक के आवास मंत्री जमीर अहमद ने केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी की। जमीर के बयान पर सियासी हंगामा भी शुरू हो गया है। कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने मंत्री की टिप्पणियों की निंदा की और उनके इस्तीफे की मांग की। चन्नापटना उपचुनाव में प्रचार के दौरान जमीर अहमद ने पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी को ‘काला कुमारस्वामी’ कहा।

यह अक्षम्य अपराध है: जेडीएस
जेडीएस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर मंत्री जमीर अहमद का एक वीडियो साझा किया। इसमें मंत्री कथित तौर पर कुमारस्वामी पर नस्लीय टिप्पणी करते दिख रहे हैं। जेडीएस ने कहा, ‘आवास मंत्री जमीर अहमद ने चन्नपटना उपचुनाव में प्रचार के दौरान नस्लीय टिप्पणी की। केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी को जमीर अहमद खान ने उर्दू में ‘काला कुमारस्वामी’ कहकर अपमानित किया है। यह अश्वेत लोगों का अपमान है। जमीर अहमद के मुंह से निकले नस्लीय घृणा के ये शब्द लोगों को समाज में शांति और व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। यह अक्षम्य अपराध है।”

कानूनी कार्रवाई की उठाई मांग
जेडीएस ने नस्लीय टिप्पणी पर कड़ी निंदा की और मंत्री के इस्तीफे की मांग की। पार्टी ने राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर और रामनगर जिला पुलिस से मंत्री जमीर अहमद के खिलाफ नस्लीय दुर्व्यवहार, जातिवाद और समाज में शांति भंग करने की कोशिश करने के आरोप में तुरंत उचित कानूनी कार्रवाई करने की अपील की। जेडीएस ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से तुरंत मंत्री से इस्तीफा लेने की मांग की।

किरेन रिजिजू ने भी की निंदा
इस बीच, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी जमीर अहमद की टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा कि मैं कांग्रेस के मंत्री जमीर अहमद द्वारा केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी को ‘काला कुमारस्वामी’ कहने की कड़ी निंदा करता हूं। यह एक नस्लवादी टिप्पणी है। ठीक वैसे ही जैसे राहुल गांधी के सलाहकार ने दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी, पूर्वोत्तर को चीनी और उत्तर भारतीयों को अरब बताया था।

घृणित भाषा निम्न स्तर को दर्शाती है
जनता दल सेकुलर ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान को रि-पोस्ट किया और लिखा कि देश जमीर अहमद की एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ अपमानजनक और नस्लीय टिप्पणी की कड़ी निंदा करता है। इस तरह की घृणित भाषा राजनीतिक विमर्श में एक नए निम्न स्तर को दर्शाती है। सभ्य समाज में इसकी कोई जगह नहीं है। हम उन नेताओं से जवाबदेही की मांग करते हैं जो रचनात्मक संवाद के बजाय विभाजनकारी हमलों को चुनते हैं।” उल्लेखनीय है कि कर्नाटक की शिगगांव, संदूर और चन्नपटना सीट पर 13 नवंबर को उपचुनाव है। इस्तीफे के बाद यह तीनों सीटें खाली हुई हैं। 23 नवंबर को मतगणना होगी।


Source : Agency

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