भारत में पिछले 17 साल में कॉन्क्रीट का जंगल तेजी से बढ़ा है. कंस्ट्रक्शन एरिया में 25 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है. यह खुलासा नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की रिपोर्ट से हुआ है. इसमें सिर्फ शहर ही नहीं बढ़े हैं लेकिन बुनियादी ढांचों में भी इजाफा हुआ है।
पिछले 17 साल में अपना देश कॉन्क्रीट के जंगल में बदल गया है. 2005 से 2023 तक देश में कंस्ट्रक्शन एरिया 25 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. यह जानकारी ISRO के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने दी है. इससे पता चलता है कि इतने वर्षों में देश में शहरीकरण और बुनियादी ढांचे में काफी बढ़ोतरी हुई है।
NRSC की वार्षिक रिपोर्ट में भूमि उपयोग और भूमि कवर में 2005-06 से लेकर 2022-23 के बीच करीब 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान 35 फीसदी कंस्ट्रक्शन एरिया और जुड़ा है. लैंड कवर में करीब 2.4 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस कंस्ट्रक्शन एरिया में सिर्फ इमारतें नहीं हैं, बल्कि सड़कें वगैरह भी हैं।
जैसे- 2005 से 2023 के बीच गुजरात में 175 फीसदी, कर्नाटक में 109 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 94 फीसदी, मध्यप्रदेशन में 75 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 58 फीसदी राष्ट्रीय राजमार्ग बढ़े हैं. रिपोर्ट के अनुसार कृषि भूमि से भी कंस्ट्रक्शन एरिया निकाला गया है.
NRSC के मुताबिक कंस्ट्रक्शन एरिया में इमारतें यानी छत वाले ढांचे, पक्की सतहें यानी सड़कें और पार्किंग, व्यावसायिक और औद्योगिक स्थलों जैसे- बंदरगाहों, लैंडफिल, खदानों और रनवे और शहरी हरियाली वाले क्षेत्रों में पार्क और उद्यान आदि शामिल हैं. यानी देश में तेजी से बुनियादी ढांचों का विकास हो रहा है।
लेकिन दिक्कत ये है कि कंस्ट्रक्शन एरिया में बढ़ोतरी के लिए कृषि भूमि का इस्तेमाल नुकसानदेह है. इससे किसानों को नुकसान होता है. उनकी रोजी-रोटी छिनती है. पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने की वजह से किसानों ने प्रदर्शन किया. गुजरात के वापी से शामलाजी तक NH-56 के विकास का विरोध हुआ।