Friday, 27 September

भोपाल
 ताप विद्युत पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए देशभर में नवकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस दिशा में मध्य प्रदेश तेजी से काम कर रहा है। वर्तमान में 6,418 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

दिन में उत्पादित बिजली का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत रीवा में उत्पादित सौर ऊर्जा से दिल्ली मेट्रो का संचालन हो रहा है। वर्तमान में सात राज्यों (गोवा, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा) में ट्रेनें मप्र में उत्पादित सौर उर्जा से दौड़ रही हैं।

भारतीय रेल को आगर, शाजापुर और नीमच स्थित 1,500 मेगावाट के सोलर प्लांट से प्रतिदिन 195 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इसके लिए 25 वर्ष का अनुबंध किया गया है।

मध्य प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 12 वर्ष में 12 गुना वृद्धि हुई है। 2012 में सौर, पवन, बायाेमास और लघु जल परियोजनाओं से 491 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता था, जो 2024 में बढ़कर 6,418 मेगावाट हो गया है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि हुई है।

अब स्थापित क्षमता 3,500 मेगावाट हो गई है। दिन में उत्पादित इस ऊर्जा का उपयोग अधिक से अधिक करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। औद्योगिक इकाइयों को दिन में खपत बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, तो एक अप्रैल 2025 से घरेलू उपभोक्ताओं को भी दिन में विद्युत की खपत पर ऊर्जा प्रभार में 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

इसके साथ ही अप्रैल 2024 से भारतीय रेल को प्रतिदिन 195 मेगावाट बिजली दी जा रही है। इसका उपयोग वह गोवा, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ट्रेनों के संचालन में कर रहा है। इसका लाभ मध्य प्रदेश के साथ-साथ रेलवे को भी हो रहा है।

दिल्ली मेट्रो को 100 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत

नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 750 मेगावाट क्षमता के रीवा प्लांट से 26 प्रतिशत बिजली दिल्ली मेट्रो को दी जा रही है। इससे उसे लगभग सौ करोड़ रुपये की वार्षिक बचत हो रही है। इसकी तरह भारतीय रेल को भी ढाई सौ करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।

दरअसल, आगर स्थित संयंत्र से उत्पादित बिजली की दर 2.44 रुपये प्रति यूनिट, शाजापुर संयंत्र की 2.33 रुपये प्रति यूनिट और नीमच संयंत्र से उत्पादित बिजली की न्यूनतम दर 2.14 रुपये प्रति यूनिट है। 1,500 मेगावाट के इन तीनों संयंत्रों से ही भारतीय रेल को बिजली दी जा रही है।

195 मेगावाट के अतिरिक्त जो बिजली उपलब्ध है, उसे मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड ले रही है। संयंत्रों की स्थापना से पहले ही सरकार यह गारंटी दे रही है कि जो भी बिजली बनेगी, उसे या तो सरकार स्वयं लेगी या फिर किसी देने अनुबंध करेगी।

कई परियोजनाओं पर चल रहा काम

मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा की कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इसमें आगर, धार, अशोकनगर, भिंड, शिवपुरी और सागर जिले शामिल हैं। यहां 7,500 मेगावाट क्षमता के संयंत्र लगाए जाएंगे। इसके लिए 15 हजार हेक्टेयर भूमि भी चिह्नित कर ली गई है।

ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव मनु श्रीवास्तव का कहना है कि बिलली के मामले में मध्य प्रदेश सरप्लस राज्य है। उत्पादन के साथ-साथ दिन में खपत बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। भारतीय रेल को सात राज्यों में सौर ऊर्जा दे रहे हैं। जल्द ही प्रदेश के मुरैना में स्थापित होने संयंत्र से उत्तर प्रदेश को भी बिजली देंगे।


Source : Agency

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