रायपुर।
डिजिटल अरेस्ट मामले में रायपुर के रेंज साइबर थाना ने बड़ी कार्रवाई की है. पंडरी में महिला से 58 लाख रुपये ठगने वाले एक आरोपी को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार किया गया है. आरोपी के पास से ठगी की रकम में से 9.50 लाख रुपये नगद, बैंक खाता, चेक बुक और मोबाइल जब्त किए गए हैं.
जानकारी के अनुसार, पीड़ित महिला ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई कि अज्ञात व्यक्तियों ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर उसे आधार कार्ड के दुरुपयोग से 311 बैंक खाते खोलने का आरोप लगाया. आरोपी ने उसे डरा-धमकाकर 24 घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल में जुड़े रहने का दबाव बनाया और डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर 58 लाख रुपये ठग लिए. पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते हुए रेंज साइबर थाना रायपुर को जांच सौंपी. पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज अमरेश मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रेंज साइबर थाना रायपुर को तकनीकी साक्ष्य एकत्र कर आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी करने एवं ठगी की रकम होल्ड जब्त करने के संबंध में निर्देश दिए. मामले में जांच के दौरान साइबर थाना की टीम ने तकनीकी साक्ष्य जुटाते हुए आरोपी जसविंदर सिंह साहनी, निवासी राजनंदगांव को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी से 9.50 लाख रुपये की नकदी, बैंक खाता, चेक बुक और मोबाइल बरामद की गई है.
‘डिजिटल अरेस्ट’ का नया तरीका अपनाते साइबर ठग
साइबर ठग ऑनलाइन ठगी के लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं. ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए झांसे में लेकर लोगों से रुपये भी मांग रहे हैं. हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें ठगों ने खुद को पुलिस वाला बताकर ठगी की कोशिश की.
जाने कैसे हो रही पुलिस के नाम से ठगी
खुद को पुलिस, कस्टम, आयकर और ट्राई जैसे विभागों का अधिकारी बताकर साइबर ठग उच्च शिक्षित लोगों को वीडियो कॉल के जरिये अरेस्ट भी कर रहे हैं. झूठी कहानी बताकर बचने के लिए पूरे समय वीडियो कॉलिंग में जुड़े रहने बोलकर पीड़ित पर पूरे समय नजर रखते हैं. डिजिटल अरेस्ट कर बचने के लिए रुपये की मांग करते हैं.
बच्चों को हिरासत में लेने की बात कहकर कर रहे वसूली
साइबर ठग अभिभावकों को कॉल करके उनके बेटे-बेटियों के हिरासत में होने की बात कहकर धमकाते हैं. वह खुद को पुलिस या कस्टम अफसर बताकर बात करते हैं और ड्रग, सेक्स रैकेट जैसे मामले में बच्चों को पकड़ने की बात कहते हैं. हिरासत से रिहा करने के बदले परिजनों से रुपये मांगे जाते हैं. ऐसे लोगों को खासतौर पर निशाना बनाते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई या नौकरी करते हैं. पुलिस का नाम सुनकर परिजन घबरा जाते हैं और जाल में फंस जाते हैं.
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