नई दिल्ली
कोरोना महामारी का वो विकट काल भला कौन भूला होगा जब देश ही नहीं, पूरी दुनिया में त्राहिमाम मचा हुआ था। उस वक्त अगर किसी एक्सपर्ट को सुनने के लिए पूरा देश जैसे लालायित रहता था, तो वह थे एम्स दिल्ली के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया। अब उन्होंने ही आंखें खोल देने वाली चेतावनी दी है। चेतावनी प्रदूषण को लेकर। ये कितना खतरनाक है, इसको लेकर। गुलेरिया ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से जितनी मौतें हुईं, उससे कहीं ज्यादा तो हर साल सिर्फ प्रदूषण से मौतें हो रही हैं।
मेदांता के इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी और स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन और एम्स दिल्ली के पूर्व डायरक्टर गुलेरिया ने कहा, ‘हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में 2021 में कहा गया है कि दुनिया में लगभग 80 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मर गए। यह कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से भी अधिक है। हम कोविड के बारे में चिंतित हैं, लेकिन हम वायु प्रदूषण के बारे में चिंतित नहीं हैं।’
वर्ल्डोमीटर वेबसाइट के मुताबिक, दुनियाभर में कोरोना वायरस से अबतक करीब 70 लाख लोगों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा अमेरिका में 12 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। कोरोना से मौत के मामले में भारत दूसरे नंबर है जहां इस जानलेवा वायरस से अबतक 5.33 लाख लोगों की जान चुकी है।
एयर पलूशन कितना खतरनाक है, इसे समझाते हुए गुलेरिया ने आगे कहा, ‘भारत के हालिया डेटा से पता चलता है कि पीएम 2.5 में केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि मौत की दर को काफी ज्यादा बढ़ा देती है। यह सांस और हृदय संबंधी समस्याओं के कारण होता है… वायु प्रदूषण फेफड़ों में अधिक सूजन पैदा करता है। श्वसन संबंधी समस्या बिगड़ जाती है। मरीज कई बार आईसीयू या वेंटिलेटर में पहुंच जाते हैं और इससे मृत्यु दर बढ़ जाती है।’
गुलेरिया ने आगे कहा, ‘इसी तरह, जिन लोगों को हृदय रोग है… यह हृदय की वाहिकाओं में सूजन या सूजन का कारण बनता है और इससे दिल का दौरा पड़ने की आशंका भी बढ़ जाती है। सिर्फ हृदय और फेफड़ों की ही बात नहीं है, प्रदूषण शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है क्योंकि वायु प्रदूषकों के ये सूक्ष्म कण 2.5 माइक्रोन से कम होते हैं। जब ये रसायन फेफड़ों से शरीर में प्रवेश करते हैं, तो विभिन्न अंगों में जा सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक प्रभाव वाली बीमारियां हो सकती हैं, जैसे डिमेंशिया, तंत्रिका संबंधी समस्याएं, मधुमेह, मेटाबोलिक सिंड्रोम, ये सभी वायु प्रदूषण से जुड़े हुए हैं…।’
गुलेरिया की ये चेतावनी ऐसे समय आई है जब मॉनसून की विदाई के साथ ही देश में प्रदूषण वाला मौसम दस्तक दे चुका है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तो नवंबर से पहले ही एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 400 के पार जा चुका है। इसका सीधा सा मतलब है कि हवा इतनी ज्यादा जहरीली हो गई है कि उसमें सांस लेना स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत ही खतरनाक है।
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