उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के नगर निगमों के कार्यों के आधार पर उनकी रैंकिंग की जाएगी। प्रदेश सरकार ने म्यूनिसिपल परफॉरमेंस रैंकिंग व्यवस्था शुरू की है। जिसमें पहला स्थान प्राप्त करने पर दस करोड़ रुपये पुरस्कार के रूप में दिए जाएंगे। पहली बार प्रदेश में नगर निगमों के बीच रैंकिंग हो रही है। शासन ने छह विषयों के आधार पर 30 मानक निर्धारित किए हैं और सभी के अलग-अलग अंक निर्धारित हैं। रैंकिंग का एक अहम आधार बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के साथ शहरवासियों के जीवन स्तर में सुधार भी है।
शासन स्तर पर जो फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। उसमें स्वच्छता, जीवन की गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, सतत पर्यावरण, सुशासन और नागरिक सुरक्षा शामिल हैं। स्वच्छता पर 24 प्रतिशत, आत्मनिर्भरता पर 25, जीवन की गुणवत्ता पर 18, सतत पर्यावरण और सुशासन पर 12, नागरिक सु्रक्षा पर 9 प्रतिशत अंक निर्धारित किए गए हैं। इन मानकों पर रैंकिंग शुरू हो गई है और जुलाई-अगस्त 2025 में परिणाम घोषित किए जाएंगे। नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के क्रम में नगर निकायों को जवाबदेह बनाने में रैंकिंग कारगर साबित होगी।
इन मानकों के आधार पर मिलेंगे अंक
घरों में पेयजल कनेक्शन, पार्कों और शहर में हरियाली, नाइट शेल्टर, सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को रोकने और जब्तीकरण अभियान, घर-घर कूड़ा उठान, नियमित सफाई व्यवस्था, आर्गेनिक कचरे का निस्तारण, कचरा निस्तारण प्लांट पर कूड़े के ढेर न होना, स्ट्रीट लाइटों के अभाव में डार्क स्पॉट न होना, जनसंख्या की तुलना में सफाईकर्मियों की संख्या, सीवर कनेक्शन की स्थिति आदि।
मई-जून में डाटा का सत्यापन
विभिन्न नगर निगमों की ओर से शासन को जो डाटा भेजा जाएगा। उसका सत्यापन मई-जून 2025 में किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के आधार पर तैयार डाटा रैंकिंग में शामिल किया जाएगा।
Source : Agency