शिलांग
मेघालय के साउथ वेस्ट खासी हिल्स जिले के 50 से अधिक परिवार वाले एक गांव को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत 13 वर्षों से अधिक समय से खाद्यान्न नहीं मिला है। स्थानीय विधायक रेनिकटन तोंगखार ने विधानसभा में यह दावा किया।
तोंगखार ने एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान इस मुद्दे को उठाया और एक समाचार पत्र की खबर का हवाला दिया जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार डोमटिनरोंग गांव के लोग एक दशक से अधिक समय से खाद्यान्न से वंचित हैं और उन्हें 20 वर्ष से अधिक समय से सरकारी योजनाओं से भी वंचित रखा गया है।
इसके जवाब में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री कॉमिंगोन यम्बोन ने इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए बताया कि डोमटिनरोंग को 2011 की सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना (एसईसीसी) में हुई एक त्रुटि के कारण अनजाने में राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली से बाहर कर दिया गया था।
यम्बोन ने कहा, ‘‘वर्ष 2011 में डोमटिनरोंग गांव को गलती से निर्जन क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया था, जिसके कारण इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लाभार्थी सूची से बाहर कर दिया गया था।’’
उन्होंने कहा कि एसईसीसी 2011 विवरण मेघालय के लिए आवंटित एनएफएसए के निश्चित लाभार्थियों की पहचान करने के लिए केंद्र के ‘डेटाबेस’ के रूप में कार्य करता है। राज्य में एनएफएसए के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 77.79 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों के लिए 50.87 प्रतिशत आबादी चिह्नित है।
मंत्री के अनुसार इस त्रुटि को सुधारने के प्रयास किए गए लेकिन भारत सरकार का कहना है कि ‘डेटाबेस’ में किसी भी विसंगति को केवल अगले एसईसीसी में ही हल किया जाएगा जो 2021 से लंबित है।
यम्बोन ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि इस रुकावट का डोमटिनरोंग के निवासियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है, जिससे वे अपने उचित अधिकारों से वंचित हो गए हैं।’’ उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य बढ़ती आबादी की मांगों को पूरा करने के लिए खाद्यान्न आपूर्ति में वृद्धि की उम्मीद कर रहा है, जो 2023 में लगभग 38.16 लाख हो सकती है, जबकि 2011 के एसईसीसी में जनसंख्या 29.17 लाख दर्ज की गई थी।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार डोमटिनरोंग के ग्रामीणों जैसे छूटे हुए लाभार्थियों को समायोजित करने के लिए लाभान्वित सीमा को संशोधित करने पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र के साथ बातचीत जारी रखेगी।
Source : Agency