पटना.
2013 में हुए पटना के गांधी मैदान ब्लास्ट केस में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। पटना हाईकोर्ट ने चार दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। हैदर अली, मोजिबुल्लाह, नोमान और इम्तियाज को चारों दोषियों को पहले सिविल कोर्ट फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन, हाईकोर्ट ने उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दी। साथ ही उमर और अजहरुद्दीन को उम्रकैद की सजा देने के निचली अदालत के फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखा।
दरअसल, लोकसभा चुनाव 2014 की राजनीतिक तैयारियां 2013 में ही तेज हो गई थीं। प्रधानमंत्री पद पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से लाए गए चेहरे, यानी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पटना में 27 अक्टूबर 2013 को हुंकार रैली कर रहे थे। इस दिन की शुरुआत धमाके से हुई। सुबह पटना जंक्शन पर एक धमाका हुआ। तत्कालीन एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में पुलिस टीम का ध्यान उधर गया और इधर एक घंटे के दरम्यान छह धमाकों से गांधी मैदान गूंजता रहा। धमाकों में छह की मौत हुई थी। इस केस में 27 अक्टूबर 2021 को नौ अपराधियों को सजा दी गई। अब घटना के 19 महीने बाद 20 मई 2023 को उस आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, जिसे नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने तब हत्थे चढ़ने के बाद फरार बताया था। इतने लंबे समय बाद यह गिरफ्तारी सवालों के घेरे में भी है।
जब तीन दिन में रिहा हो गया 7 साल सजा पाने वाला
27 अक्टूबर 2021 को एनआईए की विशेष अदालत ने आतंकियों नोमान अंसारी, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी उर्फ अब्दुल्लाह, इम्तियाज अंसारी उर्फ आलम और मो. मोजिबुल्लाह अंसारी को फांसी की सजा सुनाई थी। दो आतंकियों उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन को उम्रकैद दी गई थी। यह छह आतंकी IPC के सेक्शन 302, 120B के साथ UAPA की गंभीर धाराओं में दोषी पाए गए थे। एनआईए कोर्ट ने फिरोज आलम उर्फ पप्पू और अहमद हुसैन को 10-10 साल की सजा सुनाई थी। छह आतंकियों को रांची बस स्टैंड पहुंचाने के कारण दोषी पाए गए इफ्तिखार आलम को 7 साल की सजा सुनाई गई। सजा सुनाए जाते समय तक इफ्तिखार 7 साल जेल में रह चुका था, इसलिए कागजी प्रक्रिया पूरी कर उसे 04 नवंबर 2021 को बेउर जेल से रिहा कर दिया गया।
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