भोपाल
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा लगभग 300 अभियंताओं व कार्मिकों को साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया।तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम छह सत्रों में आयोजित किया गया जिसमें जबलपुर व भोपाल में कार्यरत कार्मिकों ने ऑफलाइन व ऑनलाइन शामिल हो कर साइबर सुरक्षा के बारे में गहनता से जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट के बारे में और इससे बचाव के बारे में कार्मिकों को महत्वपूर्ण तथ्यों से अगवत कराया गया। न्यू कॉलर या अज्ञात नंबरों से बचने के उपाय बताए गए।
मुख्य महाप्रबंधक सूचना प्रौद्योगिकी एफके मेश्राम ने जानकारी दीकि डिजिटल अरेस्ट व डीपफेक के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पावर मैनेजमेंट कंपनी के कार्मिकों के लिए इस जागरूकता कार्यक्रम को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कार्मिकों को डिजिटल अरेस्ट व डीपफेक के बारे में शिक्षित करना और उनसे बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना है।
90 दिन में बदलें ईमेल का पासवर्ड
साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के द्वारा संचालित सत्रों में कार्मिकों को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में ज्ञानार्जन करने का मौका मिला। कार्मिकों को सलाह दी गई कि वे अपने ईमेल का पासवर्ड प्रत्येक 90 दिन में बदलते रहें।
डीपफेक से बचें-प्रशिक्षण कार्यक्रम में कार्मिकों को जानकारी दी गई कि डीपफेक एक प्रकार का कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) है, जिसका उपयोग विश्वसनीय फर्जी चित्र, ध्वनियाँ और वीडियो बनाने के लिए किया जा सकता है। “डीपफेक” शब्द डीप लर्निंग अवधारणा को किसी नकली चीज़ के साथ जोड़ता है।डीपफेक फर्जी छवियों और ध्वनियों को संकलित करता है और उन्हें मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके एक साथ जोड़ता है। नतीजतन, यह ऐसे लोगों और घटनाओं का निर्माण करता है जो अस्तित्व में नहीं हैं या वास्तव में घटित नहीं हुए हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डिजिटल अरेस्ट व डीपफेक के मुद्दों पर संवाद कर व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए सबसे अच्छे अभ्यासों से अवगत करवाया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि पावर मैनेजमेंट कंपनी के कार्मिक डिजिटल अरेस्ट व डीफेक के मामलों में समर्थ बनें और डिजिटल जगत में सुरक्षित रहें।
Source : Agency