कोरिया.
फ्लोरोसिस रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी ने उक्त कार्यक्रम के तहत जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, शिक्षा, पंचायत, समाज कल्याण एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा कि फ्लोरोसिस एक सार्वजनिक लोक स्वास्थ्य समस्या है, जो लंबे समय तक पीने के पानी, खाद्य उत्पादों एवं औद्योगिक उत्सर्जन के माध्यम से फ्लोराइड के अत्यधिक सेवन के कारण होता है, जिसके कारण दंत फ्लोरोसिस, स्केलेटल फ्लोरोसिस एवं नान – स्केलेटल फ्लोरोसिस जैसी प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां होने की संभावना बनी होती है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार भारतीय मानक ब्यूरो ने फ्लोराइड की वांछनीय सीमा एक पीपीएम यानी एक मिलीग्राम प्रति लीटर बताया है। यदि ग्रामीण क्षेत्र के पेयजल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर सीमा से अधिक मिलने पर, उस क्षेत्र के समस्त पेयजल स्रोतों का परीक्षण प्रयोगशाला से पेयजल स्रोत के फ्लोराइड से प्रभावित होने का जांच आवश्यक है। ऐसे में संबंधित विभाग से समन्वय करते हुए फ्लोरोसिस से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण, चयनित क्षेत्र में फ्लोरोसिस नियंत्रण, फ्लोरोसिस के रोकथाम, निदान और प्रबंधन के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के साथ आम लोगों में जागरूकता लाने की जरूरत है। कलेक्टर श्रीमती त्रिपाठी ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित क्षेत्रों के स्कूली बच्चों सहित समुदाय में फ्लोरोसिस की जांच करने के निर्देश दिए हैं। लोगों में फ्लोरोसिस की अधिकता से होने वाले रोगों के उपचार व रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान चलाने व मरीजों का चिन्हांकन कर समय पर उनका इलाज करने के निर्देश दिए हैं। फ्लोरोसिस नियंत्रण के लिए फ्लोराइड आधिक्यता से होने वाली बीमारियों की पहचान एवं जागरूकता लाने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार करने के सम्बंधित विभागों को निर्देश दिए हैं।
बता दें कोरिया सहित प्रदेश के सात जिलों बालोद, कांकेर, कोरबा, कोंडागांव, महासमुंद, रायपुर में भारत सरकार द्वारा संचालित फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम संचालित है।
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