Thursday, 31 October

नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार ने चार साल की देरी के बाद 2025 में जनगणना शुरू करने जा रही है। सरकार के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। जनगणना की यह प्रक्रिया 2025 में शुरू होकर 2026 तक जारी रहने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि जनगणना के बाद लोकसभा सीटों का परिसीमन शुरू होगा और यह काम 2028 तक पूरा कर लिया जाएगा। यह घटनाक्रम कई विपक्षी दलों द्वारा जाति जनगणना की मांग के बीच हुआ है।
भारत में पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी। अगला चरण 2021 में शुरू होना था, लेकिन कोरोना माहमारी के कारण इसमें देरी हो गई। तब से, इस बारे में कई सवाल पूछे जा रहे हैं कि अगली जनगणना के आंकड़े कब प्रकाशित किए जाएंगे। मोदी सरकार जनगणना रिकॉर्ड करने की तैयारी में जुटी हुई है। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा जाति जनगणना की मांग के बावजूद, सूत्र बता रहे हैं कि फिलहाल मोदी सरकार की जाति जनगणना की अनुमति देने की कोई योजना नहीं है।
दरअसल, मौजूदा फॉर्म में, जहां सर्वेक्षण करने वाला हर व्यक्ति अपना नाम, विवरण, पारिवारिक विवरण आदि प्रकाशित करता है, वहीं उसके पास धर्म का विवरण दर्ज करने का विकल्प होता है। एक और कॉलम है जो उन्हें अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति (एससी/एसटी) के रूप में पहचानता है। फॉर्म में एकमात्र अतिरिक्त बात यह होगी कि सर्वेक्षण करने वाले लोगों को अपने धर्म के तहत अपने संप्रदाय का उल्लेख करने की अनुमति होगी।
कांग्रेस, आरजेडी और कई अन्य पार्टियां जाति जनगणना की मांग कर रही हैं। बिहार में जेडीयू जैसे बीजेपी के गठबंधन सहयोगियों ने भी इस बारे में बात की है, लेकिन मोदी सरकार पर कोई दबाव नहीं डाला है। केंद्रीय स्तर पर, अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट पर छोड़ दिया गया है। बीजेपी की दूसरी सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी भी मानती है कि जनगणना होनी चाहिए, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू आम जनता, खासकर युवा आबादी के लाभ के लिए ‘कौशल जनगणना’ की सक्रिय रूप से वकालत कर रहे हैं। आरएसएस भी जाति जनगणना के पक्ष में है, बशर्ते कि यह किसी पार्टी द्वारा राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए न किया जा रहा हो।

 


Source : Agency

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