धमतरी
मां अंगारमोती शक्तिपीठ गंगरेल में आज भी सदियों की आस्था लोगों में जागृत है। दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को गंगरेल मड़ई का आयोजन मां अंगारमोती परिसर में हुआ जहां 54 गांवों के देवी-देवता निसंतान दंपत्तियों को आशीर्वाद देने के लिए पहुंचे। मां अंगारमोती की पूजा-अर्चना कर निसंतान महिलाओं ने संतान प्राप्ति की कामना की। मड़ई में क्षेत्र के सैकड़ों लोग तो शामिल हुए है साथ ही आसपास के जिलों के लोग भी संतान प्राप्ति के लिए पहुंचे हुए थे।
मड़ई में पहुंचे बैगाओं ने त्रिशूल, कासल, सांकल आदि हाथ में रख संस्कृति का प्रदर्शन किया। युवक डांग लेकर उनकी अगुवाई करते रहे। जगह-जगह इनकी पूजा-अर्चना भी की गई। इस दौरान आंगादेव पारंपरिक बाजे की थाप पर जमकर थिरकते रहे। गंगरेल मड़ई देखने शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों लोग पहुंचे। मां अंगारमोती देवी के दर्शन कर उन्होंने अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना भी की। नि:संतान महिलाओं ने मां अंगारमोती के दरबार में जल चढ़ाकर संतान प्राप्ति की कामना की।
मान्यता के अनुसार दिवाली के बाद आने वाले पहले शुक्रवार को यहां मड़ई का आयोजन किया जाता है। इसके बाद ही अंचल के अन्य गांवों में मड़ई मेले के आयोजन का सिलसिला शुरू होता है। साल की पहली मड़ई होने के कारण यहां शहर समेत गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। मड़ई का मुख्य आकर्षण 54 गांवों से पहुंचने वाले देवी-देवता रहते हैं, जिन्हें विधि-विधान के साथ मां अंगारमोती के दरबार में आमंत्रित किया जाता है। इन देवी-देवताओं के साथ आंगा देवता भी आते हैं।
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