Tuesday, 21 January

जगदलपुर

बस्तर में सुरक्षा बल की ड्रोन तकनीकी के खिलाफ नक्सलियों की बंकर रणनीति देखने को मिल रही है। पिछले एक साल में ड्रोन और सेटेलाइट तकनीक से किए गए सटीक अभियान में सुरक्षा बल ने नक्सलियों को बड़ी चोट पहुंचाई है।

इस दौरान किए गए अभियान में अब तक 273 नक्सलियों को मार गिराया गया है। इससे घबराए नक्सली अब सुरक्षा बल की रणनीति का तोड़ निकालने के लिए बंकरों का इस्तेमाल करने लगे हैं।

सुरक्षा बलों को बस्तर के जंगलों में एक वर्ष के अंतराल में दूसरी बार नक्सलियों का बंकर मिला है। गुरुवार को तेलंगाना सीमा पर सुरक्षा बलों ने पुजारीकांकेर के पास नक्सलियों के बटालियन और केंद्रीय रीजनल समिति के आधार कैंप पर छापामार कार्रवाई की थी।

बचने के लिए बंकर बना रहे हैं नक्सली
इस दौरान हुई मुठभेड़ में 18 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। मुठभेड़ की जगह से सुकमा जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) को नक्सलियों की हथियार फैक्ट्री मिली है। इसे एक बंकर के अंदर बनाया गया था, ताकि ड्रोन और सैटेलाइट से यह नजर न आए।

जवानों को मुठभेड़ स्थल से इस फैक्ट्री में बनाया गया रॉकेट लांचर भी मिला था। नक्सली इन बंकरों का उपयोग सुरक्षा बल से छिपने, हथियार बनाने, विस्फोटक और हथियार छुपाने के लिए करते हैं।

हवाई हमलों के लिए तैयार हो रहे नक्सली
छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड डीजीपी आरके विज ने बताया कि साल 2012 में ही नक्सलियों ने एयर डिफेंस नोट्स तैयार कर लिए थे। पुलिस के हेलीकॉप्टर के उपयोग के साथ ही नक्सलियों ने इन पर हमले करने शुरू कर दिए थे।

नवंबर 2008 में बीजापुर के पीड़िया के पास हेलीकॉप्टर पर हुए हमले में एक अधिकारी शहीद हो दए थे। वहीं, साल 2013 में सुकमा के तिमिलवाड़ा के पास नक्सलियों के गोलीबारी से क्षतिग्रस्त हेलीकॉप्टर को आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी।

10 फीट चौड़ाई और उतनी ही गहराई
नक्सल विरोधी अभियान से लौटे डीआरजी के जवानों ने बताया कि पुजारीकांकेर के पास सुरक्षा बल को नक्सलियों का बंकर मिला है। वह लगभग दस फीट चौड़ा और लगभग उतरा ही गहरा था।

बंकर धंसे नहीं इसलिए भीतर से लट्ठे और बांस के स्ट्रक्चर बनाया था। इसके साथ ही ऊपर से मिट्टी और घास-फूस से ढंक दिया गया था, ताकि आसानी से इसका पता न चले।

इसके भीतर नक्सलियों ने लेथ मशीन, कटर मशीन और अन्य उपकरण लगा रखे थे। जनरेटर से लाइट की व्यवस्था की थी, ताकि भीतर रोशनी रहे। इस बंकर में इतनी जगह थी कि 10 से 12 लोग आसानी से खड़े होकर काम कर सकते थे।

पहले मिली थी 70 मीटर की सुरंग
इससे पहले जनवरी 2024 में दंतेवाड़ा और बीजापुर जिले की सीमा पर स्थित उसपारी गांव में सुरक्षाकर्मियों को पहली बार 70 मीटर लंबी सुरंग मिली थी। सुरंग के प्रवेश मार्ग को लट्ठों, झाड़ियों और मिट्टी से ढंका हुआ था।

सुरक्षा बल का मानना है कि नक्सलियों ने छिपने के लिए इस बंकर को खोदा था। इसका इस्तेमाल वे नक्सल-संबंधी सामग्रियों और विस्फोटकों को छिपाने के लिए भी करते रहे होंगे।

 


Source : Agency

Share.
Exit mobile version