Thursday, 26 December

भोपाल। विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री समेत सांसदों को विधायक का चुनाव लड़ाने उताकर चौंका दिया है। अब भाजपा की जीती 127 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का इंतजार है। दावा किया जा रहा है कि ये सूची भी कम चौंकाने वाली नहीं होगी। चालीस प्रतिशत वर्तमान एमएलए के टिकट काटे जाने की संभावना है। इसमें ये भी स्पष्ट हो जाएगा कि सीएम शिवराज खुद चुनाव लड़ेंगे या नहीं। अभी तक यही माना जा रहा है कि शिवराज विधानसभा चुनाव नही लड़ रहे हैं। 

बीजेपी के अंदरखाने में कहा जा रहा है कि प्रत्याशियों को चयन को लेकर बहुत मेहनत की है। इसमें कई फैक्टर पर सर्वे किया गया, लेकिन तीन फैक्टर इमेज, जातिगत समीकरण और संगठन का फीडबैक सबसे अहम रखा गया। यानी इसमें एक भी फैक्टर दावेदार के खिलाफ गया तो उसको पैनल से बाहर कर दिया गया। प्रदेश स्तर से मिले दावेदारों के नाम पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दो एजेंसियों से सर्वे कराया। इसमें एक पैनल में न्यूनतम तीन और अधिकतम पांच नाम को शमिल किया गया। सर्वे में एक विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या के आधार पर दो हजार से पांच हजार लोगों को शामिल किया गया। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली से केंद्रीय नेतृत्व प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगा रहा है। 

नए चेहरे और युवाओं को उतारेंगी मैदान में 

भाजपा के खिलाफ प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है। इसे दूर करने के लिए पार्टी कई विधायकों के टिकट काट सकती है। इनकी जगह पर पार्टी की रणनीति नए चेहरे और युवाओं को मैदान में उतारने की है। 

इन प्रमुख फैक्टर पर किया सर्वे 

जनप्रतिनिधि की इमेज- भाजपा विधायक की क्षेत्र में छवि कैसी है। उस पर कोई गंभीर आरोप तो नहीं है। विधायक के संरक्षण में कहीं उसके लोग लोगों पर कोई मनमानी या दंबगई तो नहीं कर रहे।  

जातिगत समीकरण– विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी चयन के लिए कई फैक्टर पर सर्वे किया गया है। इसमें एक फैक्टर जातिगत समीकरण भी था। इसमें क्षेत्र में प्रत्याशी का चयन में जातिगत समीकरण को आगे रखा गया। 

संगठन का फीडबैक- विधायक समेत सभी दावेदारों के लिए संगठन का फीडबैक बहुत अहम है। जिला स्तर पर संगठन के पदाधिकारियों की राय नाम पर विचार करने के लिए जरूरी है। 

क्षेत्र में किए विकास कार्य- मौजूदा विधायक का परफार्मेंस कैसा है। उसके द्वारा द्वारा क्षेत्र में किए गए विकास के काम पार्टी के द्वारा तय मानकों के अनुसार है। 

जनता के बीच उपलब्धता– विधायकों की क्षेत्र में सक्रियता कैसी है। जनता की उस तक पहुंच और विधायक की उपलब्धता को लेकर भी सर्वे किया गया। 

विपक्षी को टिकट देने से पहले सर्वे 

पार्टी ने क्षेत्र में विपक्षी विधायक या नेता के जीतने की संभावना पर उसको पार्टी में शामिल कराने से पहले सर्वे किया गया। इसमें देखा गया कि उसका संगठन में विरोध तो नहीं होगा। जनता के बीच उसकी छवि कैसी है। विधायक होने पर उसके वोटर और पार्टी समर्थित वोटरों को लेकर भी सर्वे किया गया। 

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