सीहोर
बुधनी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामाकांत भार्गव ने जीत तो हासिल की, लेकिन कांग्रेस के उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। 23 नवंबर 2024 को हुए इस चुनाव में भाजपा को मात्र नौ प्रतिशत वोटों से जीत मिली, जबकि कुछ महीने पहले ही हुए विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान को लगभग 70% वोट मिले थे। इस बार भाजपा को 52% और कांग्रेस को 43% वोट मिले।
कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी और भाजपा के वोट शेयर में गिरावट ने भाजपा के लिए चिंता का विषय पैदा कर दिया है। खासकर 136 पोलिंग बूथ पर मिली हार और 98 बूथ पर बेहद कम अंतर से जीत ने भाजपा के लिए आत्ममंथन की स्थिति पैदा कर दी है।
20 साल बाद ऐसी टक्कर
बुधनी विधानसभा में लगभग 20 साल बाद इतना रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। रामाकांत भार्गव ने जीत तो हासिल की, लेकिन दोनों दलों के लिए यह चुनाव सीख देने वाला रहा। पिछले दो विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो कांग्रेस ने भले ही चुनाव हारा हो, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
बीजेपी का प्रदर्शन गिरा
भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट साफ दिखी। 2018 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 43 पोलिंग बूथ पर हार का सामना करना पड़ा था। 2023 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या घटकर 16 रह गई थी। लेकिन हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा को 136 पोलिंग बूथ पर हार मिली। 16 से 136 तक पहुंचने वाली हार के आंकड़ों ने भाजपा के लिए आत्ममंथन की स्थिति पैदा कर दी है।
98 बूथों पर कांटे की टक्कर
इस उपचुनाव में 98 पोलिंग बूथ ऐसे रहे, जहां दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर रही। इन बूथों पर जीत और हार का अंतर 50 वोटों से भी कम रहा। भाजपा 50 ऐसे बूथों पर जीती, जहां जीत का अंतर 50 से कम था। कांग्रेस 48 ऐसे बूथों पर जीती, जहां जीत का अंतर 50 से कम था। इन बूथों पर जीत-हार का अंतर 2 से लेकर 49 वोटों तक रहा। कई बूथ ऐसे रहे, जहां जीत का अंतर सिर्फ 2, 7, 9 और 10 वोटों का रहा। डोबा और महागांव बूथ पर भाजपा सिर्फ 2 वोटों से जीती। नारायणपुर में 13 वोट, ग्वाडिया में 6 वोट, जोशीपुरा में 10 वोट, बुधनी के पांच बूथों पर 30, 49, 6, 18, 35 वोटों से जीत मिली।
किरार समाज पर भारी बारेला वोट
इस चुनाव में बारेला समाज के वोट किरार समाज के वोटों पर भारी पड़े। कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल किरार समाज से आते हैं। विधानसभा क्षेत्र में किरार समाज के लगभग 23,000 वोट हैं। ऐसा माना जा रहा था कि किरार वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में जाएगा। लेकिन राजकुमार पटेल को अपने समाज का पूरा समर्थन नहीं मिला। बारेला समाज के वोट भाजपा की तरफ चले गए। भाजपा प्रत्याशी को 38 पोलिंग बूथ पर बारेला समाज के 12,000 से ज्यादा वोट मिले। 16 अन्य बूथों पर बारेला समाज के 4,000 से ज्यादा वोट भाजपा को मिले। कुल मिलाकर भाजपा को बारेला समाज के 16,000 से ज्यादा वोट मिले, जो उसकी जीत की बड़ी वजह बने। किरार समाज में भी भाजपा ने सेंध लगाई। इस वजह से राजकुमार पटेल अपने गृह क्षेत्र से बड़ी बढ़त नहीं बना पाए।
कांग्रेस का भी यही हाल
कांग्रेस को 48 पोलिंग बूथ पर 50 से भी कम वोटों से जीत मिली। कई बूथ ऐसे थे जहां जीत का अंतर सिर्फ 1, 2, 5, 7 और 11 वोटों का रहा। तीन बूथों पर 1 वोट और एक बूथ पर 2 वोटों से कांग्रेस जीती। सलकनपुर में 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से देवीलोक का निर्माण हो रहा है। लेकिन सलकनपुर पंचायत के मतदाताओं ने भाजपा को 1 वोट से हरा दिया। यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है।
रमाकांत भार्गव ने जिस गांव को गोद लिया, उसमें जीत
बसंतपुर गांव में बारेला, बंजारा, गोंड और अन्य समाज के लोग रहते हैं। रमाकांत भार्गव ने सांसद रहते हुए इस गांव को गोद लिया था, लेकिन अपने कार्यकाल में एक बार भी गांव नहीं गए। पिछले साल ग्रामीणों ने इसका विरोध भी किया था। लेकिन फिर भी बसंतपुर के मतदाताओं ने रमाकांत भार्गव को 540 वोट देकर 349 वोटों से जीत दिलाई। राजकुमार पटेल को यहां सिर्फ 191 वोट मिले। गांव में कुल 796 वोट पड़े थे।
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