नई दिल्ली
सावन मास की पूर्णिमा अर्थात श्रावन पूर्णिमा को हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है जो कि भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इसमें बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वजन देता है। इस बार रक्षा बंधन पर्व पर भद्रा का साया रहेगा, जिसकी वजह से राखी बांधने के लिए साढ़े 7 घंटे का समय मिलेगा। सालों बाद शोभन, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग में रक्षा सूत्र बांधे जा सकेंगे। बहनें अपने भाइयों को सोमवार दोपहर 1.48 बजे से रात 9.10 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त में राखी बांध सकेंगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रक्षा बंधन पर भद्रा का साया रहेगा, जिसकी वजह से अपराह्न व प्रदोष काल का श्रेष्ठ समय ही राखी बांधने के लिए होगा। भद्रा सूर्य देव की पुत्री हैं और शनिदेव की बहन हैं। भद्रा रविवार अर्द्ध रात्रि 3.05 बजे शुरू होगी, जो सोमवार को दोपहर 1.30 बजे तक रहेगी। राखी बांधने के लिए अपराह्न व प्रदोष काल को श्रेष्ठ माना गया है। इसमें अपराह्न काल सोमवार को दोपहर 1.48 बजे से 4.22 बजे तक रहेगा, जबकि प्रदोष काल 6.57 बजे शुरू होगा और रात 9.10 बजे तक रहेगा। ये दोनों ही समय राखी बांधने के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेंगे, जिसमें प्रदोष काल सबसे उत्तम माना गया है। सूयधने के लिए होगान व प्रदोी बांधने के लिए सा पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा तिथि सोमवार 19 अगस्त को रात 3:05 बजे से शुरू हो रही है, जो रात 11.56 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा।
क्यों नहीं बांधी जाती भद्रा में राखी
हिंदू मान्यता के अनुसार भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इसलिए भद्रा काल के समय राखी बंधवाना अच्छा नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए कार्य अशुभ होते हैं और उनका परिणाम भी अशुभ होता है, इसलिए भद्रा काल के समय कभी भी भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाई थी, जिसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा। रावण की पूरी लंका का विनाश हो गया। तब से लेकर आज तक कभी भी भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बंधवाई जाती है।
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